iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा बासमती चावल के न्यूतनम निर्यात मूल्य (मेप) में कटौती किए जाने की संभावना है।
वर्तमान समय में यह मेप 950 डॉलर प्रति टन नियत है जिसे घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया जा सकता है। भारतीय निर्यातक इसकी जोरदार मांग कर रहे हैं।
समझा जाता है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से 52 लाख टन से अधिक बासमती चावल का रिकॉर्ड निर्यात हुआ और इसका बड़ा भाग अभी प्रमुख आयातक देशों में मौजूद है।
चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में भी देश से 9.65 लाख टन बासमती चावल का शानदार निर्यात हुआ जो गत वर्ष की समान अवधि के शिपमेंट 8.30 लाख टन से अधिक रहा।
अब आयातक देशों में ऊंचे दाम पर बासमती चावल की मांग घटने की संभावना हैं। यदि सरकार मेप में कटौती करती है
तो इससे भारतीय निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान की चुनौती एवं प्रतिस्पर्धा का सामना करने में अच्छी सफलता मिल जाएगी और वैश्विक बासमती चावल बाजार में अपनी भागीदारी को बरकरार रखने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
भारतीय बासमती चावल के प्रमुख आयातक देशों में सऊदी अरब, इराक, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, बहरीन, जोर्डन, ओमान तथा यमन के साथ-साथ अमरीका, ब्रिटेन एवं यूरोपीय संघ के सदस्य देश भी शामिल हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात के लिए नीतियों में कुछ बदलाव कर सकता है। इसके तहत सेला चावल पर मौजूदा समय में लगे 20 प्रतिशत के निर्यात शुल्क को हटाकर उसकी जगह एक निश्चित न्यूनतम निर्यात शुल्क लागू किया जा सकता है ताकि कम इनवॉयस की संभावना न रहे।
वैसे गैर बासमती सफेद चावल तथा 100 प्रतिशत टूटे चावल के व्यापारिक निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लेने में देर हो सकती है।
बेशक सरकार के पास चावल का भरपूर स्टॉक मौजूद है मगर घरेलू प्रभाग में समय श्रेणी के चावल के दाम में नरमी आ रही है।