iGrain India - नई दिल्ली । एथनॉल निर्माण में लगातार तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण मक्का का घरेलू बाजार भाव उछलकर अत्यंत ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है जिससे भारतीय पॉल्ट्री उद्योग को भारी कठिनाई होने लगी है।
उद्योग ने केन्द्र सरकार से खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने का आग्रह किया है।
ध्यान देने की बात है कि देश में मक्का का जितना वार्षिक उत्पादन होता है उसके लगभग 60 प्रतिशत भाग की खपत पॉल्ट्री उद्योग में होती है। पॉल्ट्री उद्योग का एक वर्ग यह भी मांग कर रहा है कि मक्का की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को रियायती मूल्य पर चावल की आपूर्ति करनी चाहिए।
गत 11 जुलाई को केन्द्रीय पशु पालन मंत्रालय को भेजे एक पत्र में पॉल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि मक्का के दाम में वार्षिक आधार पर 18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जो महंगाई की औसत वृद्धि दर से काफी अधिक है
और पॉल्ट्री उद्योग मक्का के इस ऊंचे दाम के प्रभाव को पॉल्ट्री उत्पादों के उपयोगकर्ताओं (खरीदारों) पर नहीं डाल सकता है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के तहत 15 प्रतिशत के रियायती मूल्य पर 5 लाख टन मक्का के आयात की अनुमति दी गई है।
इसका आयात सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किया जाना है। ध्यान देने की बात है कि घरेलू पशुधन उद्योग के एक संगठन- सीएल एफ एम ए ऑफ इंडिया ने सरकार से ही टीआरक्यू प्रणाली के अंतर्गत शून्य शुल्क पर मक्का के आयात की स्वीकृति देने का आग्रह किया था।
उद्योग समीक्षकों का कहना है कि सरकारी एजेंसियों के माध्यम से मक्का के आयात में न केवल लम्बा समय लग जाएगा बल्कि 15 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू होने से आयातित माल महंगा भी बैठेगा।
इसके बजाए अगर खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत शून्य शुल्क पर मक्का के आयात की अनुमति दी जाए तो पॉल्ट्री उद्योग को कुछ राहत मिल सकती है।
ध्यान देने वाली बात है कि भारत में जीएम मक्का के आयात की अनुमति नहीं है जबकि वैश्विक स्तर पर गैर जीएम मक्का का सीमित स्टॉक उपलब्ध रहता है।
यूक्रेन एवं म्यांमार के साथ-साथ नाइजीरिया जैसे कुछ अफ्रीकी देशों में ही गैर जीएम मक्का का उत्पादन एवं निर्यात स्टॉक होता है।