iGrain India - नई दिल्ली । मक्का के तेजी से बढ़ते घरेलू बाजार भाव के बारे में विभिन्न उद्योग समूहों द्वारा गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। इसी कड़ी में ऑल इंडिया स्टार्च मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एआईएसएमए) ने केन्द्र सरकार से इस समस्या को यथाशीघ्र दूर करने का आग्रह किया है।
विदेश व्यापार महानिदेशक एवं वाणिज्य मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी को भेजे एक पत्र में एसोसिएशन ने सरकार से मक्का पर आयात शुल्क को घटाकर शून्य प्रतिशत नियत करने का अनुरोध किया है।
एसोसिएशन के पत्र में कहा गया है कि भारत में स्टार्च उद्योग के दायरे में करीब 45 निर्माण इकाइयां सम्मिलित हैं जिसमें संयुक्त रूप से लगभग 70 लाख टन की वर्षिक खपत होती है। स्टार्च उद्योग खाद्य उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, पशु आहार, कागज तथा रसायन निर्माण उद्योग को कच्चे माल की आपूर्ति की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
प्रति वर्ष भारत का स्टार्च उद्योग दुनिया के 125 से अधिक देशों को लगभग 8 लाख टन तैयार उत्पादों का निर्यात करा है जिससे अच्छी मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
पिछले साल से स्टार्च निर्माण उद्योग को विभिन्न कारणों से भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो कच्चे माल का दाम बढ़कर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है और दूसरे, इस उद्योग के अंतिम तैयार माल तथा यह उत्पादों की कीमतों में गिरावट आ रही है।
स्टार्च उत्पादन के लिए मक्का एक प्रमुख प्राथमिक कच्चा माल है मगर पिछले एक साल के अंदर राष्ट्रीय स्तर पर इसका भाव करीब 25 प्रतिशत बढ़ गया।
वर्ष 2023 में मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्यों में सूखा पड़ने तथा एथनॉल निर्माण में बड़े पैमाने पर उपयोग होने के कारण इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज के दाम में जोरदार बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार ने वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा है जिससे मक्का की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ रही है।
हालांकि हाल ही में सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत 5 लाख टन गैर जीएम मक्का के आयात की अनुमति दी है लेकिन विशाल घरेलू मांग को देखते हुए यह मात्रा पर्याप्त नहीं है।
सरकारी एजेंसी- नैफेड के माध्यम से इस मक्के का आयात होगा जिस पर 15 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा। वैश्विक स्तर पर केवल यूक्रेन में ही गैर जीएम मक्का का भरपूर निर्यात योग्य स्टॉक रहता है लेकिन अभी वहां इसकी आपूर्ति का ऑफ सीजन चल रहा है। मक्का पर फिलहाल 50 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है जिसे तत्काल वापस किए जाने की जरूरत है।