iGrain India - नई दिल्ली । पिछले दिन विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लीगल (वैधानिक) गारंटी देने के प्रश्न पर सरकार की तरफ से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया जिससे राज्य सभा में हंगामा हो गया। राज्य सभा में प्रश्न काल के दौरान किसानों एवं एमएसपी के मुद्दे पर हंगामा हुआ।
दरअसल समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 12 जुलाई 2000 को किसानों की समस्याओं पर विचार करने तथा उसे दूर करने के लिए उपायों का प्रमाण देने के लिए एक समिति बनाई गई थी।
लेकिन अब 24 साल बीतने के बाद भी इस मामले में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। इसके जवाब में केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस समिति का गठन तीन उद्देश्यों के लिए किया गया था जिसमें एमएसपी उपलब्ध करवाना एवं व्यवस्था को पारदर्शी बनाना,
कृषि मूल्य को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना तथा कृषि वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के उपायों का सुझाव देना शामिल था।
गठन से लेकर अब तक समिति की 22 बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। जब समिति की सिफारिश मिल जाएगी तब उस पर विचार किया जाएगा।
कृषि मंत्री के इस कथन से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। उसका कहना था कि यह अनिश्चितता का माहौल है जबकि मंत्री महोदय को यह स्पष्ट बताना चाहिए कि सरकार एमएसपी को क़ानूनी दर्जा देना चाहती है या नहीं।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार 23 फसलों के न्यूतनम समर्थन मूल्य में नियमित रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी कर रही है और धान तथा गेहूं की विशाल मात्रा की खरीद भी हो रही है। उर्वरकों पर 1.68 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।