iGrain India - साओ पाउलो । विषुवतीय प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान लगातार ठंडा होता जा रहा है जिससे ला नीना मौसम चक्र के निर्माण की संभावना बढ़ती जा रही है।
इसका आगमन भी जल्दी होने की उम्मीद है। ला नीना मौसम चक्र के प्रभाव से उत्तरी गोलार्द्ध और खासकर एशिया महाद्वीप में भारी बारिश होती है जबकि दक्षिणी- गोलार्द्ध में सूखे का संकट बना रहता है।
दक्षिणी गोलार्द्ध में कम बारिश होने पर खासकर गेहूं, मक्का एवं सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। इसके तहत खासकर अर्जेन्टीना एवं ब्राजील में फसल कमजोर रह सकती है।
ऑस्ट्रेलिया पर भी इसका प्रकोप हो सकता है। उल्लेखनीय है कि ब्राजील तथा अर्जेन्टीना से सोयाबीन एवं मक्का का भारी निर्यात होता है जबकि ऑस्ट्रेलिया एवं अर्जेन्टीना गेहूं के अग्रणी निर्यातक देशों में हामिल हैं। ब्राजील में सोयाबीन तथा मक्का की बिजाई सितम्बर में शुरू होने वाली है।
हालांकि चालू वर्ष के दौरान काला सागर क्षेत्र के देशों में मौसम की हालत अनुकूल नहीं रही जिससे खाकर रूस एवं यूक्रेन में गेहूं एवं उत्पादन घट गया लेकिन रूस में गेहूं का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद होने से उसे निर्यात मोर्चे पर कोई खास समस्या नहीं हो रही है। यूक्रेन से निर्यात घटने की संभावना है। अमरीका एवं कनाडा में बारिश की हालत कुल मिलाकर सामान्य रही।
ऑस्ट्रेलिया तथा यूरोपीय संघ की फसल पर नजर रखी जा रही है। ला नीना का प्रभाव अभी तक पूरी तरह दिखाई नहीं पड़ने से ऑस्ट्रेलिया के कई भागों में अच्छी बारिश हुई है जिससे शीतकालीन फसलों को राहत मिल रही है।
इसमें गेहूं भी शामिल है। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में मौसम सामान्य रहने से इस बार फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
ला नीना के प्रकोप से असली संकट अगले वर्ष के कृषि उत्पादन के लिए पैदा होने की आशंका है। अगस्त के अंत या सितम्बर के आरंभ में इसका आगमन हो सकता है
जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में फसलों पर खतरा बढ़ने की आशंका है। ब्राजील एवं अर्जेन्टीना में स्थिति खराब हो सकती है जबकि कई अन्य देश भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।