iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश के सहारे अधिकांश खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे हो गया है जिसमें धान, अरहर (तुवर, मूंग, मक्का,सोयाबीन, मूंगफली एवं गन्ना आदि शामिल हैं।
दूसरी ओर उड़द, बाजरा, तिल, अरंडी तथा कपास जैसी फसलों के बिजाई क्षेत्र में गिरावट देखी जा रही है। सोयाबीन, मक्का तथा गन्ना का रकबा तो पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल से भी आगे निकल चुका है।
चालू वर्ष के लिए खरीफ फसलों का सामान्य औसत क्षेत्रफल 1095.84 लाख हेक्टेयर आंका गया है जिसमें से 2 अगस्त 2024 तक 904.60 लाख हेक्टेयर या 82.5 प्रतिशत भाग में फसलों की बिजाई पूरी हो चुकी थी।
यह बिजाई क्षेत्र गत वर्ष की समान अवधि के कुल क्षेत्रफल 879.22 लाख हेक्टेयर से 3 प्रतिशत अधिक था।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि सोयाबीन, मक्का एवं गन्ना के अलावा कई अन्य फसलों का उत्पादन क्षेत्र भी सामान्य औसत क्षेत्रफल के 90 प्रतिशत से आगे निकल चुका है।
चूंकि विभिन्न फसलों की बिजाई अभी जारी है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि आगामी सप्ताहों के दौरान उसका रकबा भी सामान्य औसत क्षेत्रफल से आगे निकल जाएगा।
जहां तक धान का सवाल है तो 2 अगस्त तक इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 276.91 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि के क्षेत्रफल 263.01 लाख हेक्टेयर से 5.3 प्रतिशत अधिक था।
इससे पूर्ववर्ती सप्ताह में रकबा पीछे हो गया था। खरीफ कालीन धान का सामान्य औसत क्षेत्रफल इस बार 401.55 लाख हेक्टेयर नियत हुआ है जिसके करीब 70 प्रतिशत भाग में इसकी खेती 2 अगस्त तक हो चुकी थी।
मक्का का उत्पादन क्षेत्र 82.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो गत वर्ष के बिजाई क्षेत्र 74.56 लाख हेक्टेयर से करीब 10 प्रतिशत तथा सामान्य औसत क्षेत्रफल से 7 प्रतिशत अधिक था।
इसी तरह सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 123 लाख हेक्टेयर के सामान्य औसत क्षेत्रफल को पार करते हुए इस बार 123.77 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो गत वर्ष के रकबा 120.51 लाख हेक्टेयर से प्रभावित ज्यादा है।