iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार लगभग समूचे देश को भारी बारिश का सौगात से रहा है जिससे न केवल खरीफ फसलों की बिजाई में अच्छी सहायता मिल रही है बल्कि इसका बेहतर ढंग से विकास भी हो रहा है
लेकिन देश के कई भागों में अत्यन्त मूसलाधार या जरुरत से बहुत ज्यादा वर्षा होने तथा नदियों में उफान से स्थानीय स्तर पर भयंकर बाढ़ जाने से फसलों को नुकसान होने की आशंका भी बढ़ गई है।
मानसून पहले दक्षिण और पश्चिम भारत में ज्यादा सक्रिय था जिससे महाराष्ट्र एवं गुजरात में भारी वर्षा एवं बाढ़ का माहौल बन गया था लेकिन अब मानसून उत्तर की ओर बढ़ गया है।
मौसम विभाग ने देश के उत्तरी एवं पचिमोत्तर तथा पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भाग में स्थित कई राज्यों के लिए वर्षा का भिन्न-भिन्न अलर्ट जारी किया है।
दिल्ली - एनसीआर के साथ-साथ हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है जिससे खेतों में जल जमाव के कारण खासकर दलहन-तिलहन फसलों को नुकसान होने की सूचना मिल रही है। सर्वेक्षण के बाद वास्तविक क्षति का पता चल सकेगा।
ध्यान देने वाली बात है कि कुल मिलाकर खरीफ फसलों का क्षेत्रफल गत वर्ष से आगे चल रहा है जिसके आधार पर उत्पादन बढ़ने का अनुमान लगाया जा सकता है मगर बाढ़-वर्षा से फसल को हो रहे नुकसान पर भी गौर करना आवश्यक है।
राजस्थान में मूंग, बाजरा, सोयाबीन तथा मूंगफली जैसी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है जबकि वहां कुछ उत्पादक जिले अभी बढ़ की चपेट में आ गए हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं गुजरात का सौराष्ट्र संभाग भी ऐसी ही हालत से गुजर रहा था।
पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में भारी वर्षा का दौर जारी है। ज्ञात हो कि पिछले साल अगस्त में बारिश का अभाव होने से कई राज्यों में सूखे का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था जिससे खरीफ फसलें प्रभावित हुई थी।
इस बार मौसम विभाग ने देश में दीर्घकालीन औसत (एचपीए) के सापेक्ष 106 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया है।