iGrain India - नई दिल्ली । पिछले 10 वर्षों में सरकारी गोदामों में चावल का इतना विशाल स्टॉक कभी नहीं रहा जितना वर्तमान समय में मौजूद है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश हो रही है और धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे चल रहा है। अक्टूबर से इसकी नई फसल की कटाई-तैयारी एवं सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी जिससे केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक आगामी महीनों में नियंत्रित रूप से बढ़ता जाएगा। इससे भंडारण एवं रख-रखाव के खर्च में बढ़ोत्तरी होगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस वर्ष 1363 लाख टन चावल के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है और बेहतर क्षेत्रफल को देखते हुए सरकार को उम्मीद है कि यदि चालू माह के शेष दिनों तथा सितम्बर में मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल रही तो चावल उत्पादन का यह लक्ष्य आसानी से हासिल हो जाएगा। इससे बाजार भाव पर दबाव बढ़ सकता है।
हालांकि केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले दो महत्वपूर्ण राज्य पंजाब तथा हरियाणा में चालू माह के शुरूआती 10 दिनों में अच्छी बारिश हुई है लेकिन कुछ सीजनल संचयी वर्षा अब भी सामान्य औसत की तुलना में क्रमश: 43 प्रतिशत एवं 23 प्रतिशत पीछे है।
वैसे इन दोनों प्रांतों में सिंचाई की अच्छी सुविधा होने के कारण धान के उत्पादन पर कोई खास प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना नहीं है मगर भूमि जल के स्तर में गिरावट आ सकती है। जुलाई माह के दौरान बारिश की कमी पंजाब में 45 प्रतिशत एवं हरियाणा में 43 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले अन्य शीर्ष राज्यों- छत्तीसगढ़, तेलंगाना, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार एवं बंगाल आदि में मानसून की बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक हुई है और अब भी हो रही है।
मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में किसानों को धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की गई है। हरियाणा में भी किसानों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन घोषित हुआ है।
इससे चावल के उत्पादन एवं सरकारी खरीद में भारी इजाफा होने की उम्मीद है। सरकार को अपेक्षा है कि 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में चावल की कुल खरीद बढ़कर पुनः 600 लाख टन तक पहुंच सकती है।