iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों को अगले दो साल में कारोबार 25 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कहा है और समूहों में मिलकर अन्य राज्यों में चीनी मिलों की स्थापना का प्रयास करने का सुझाव भी दिया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को लाभ में भागीदारी मिल सके।
सहकारिता मंत्री ने नेशनल फेडरशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के कार्यों एवं प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि फेडरेशन को मदर डेयरी की नीतियों का अनुसरण करते हुए उन राज्यों में सहकारी चीनी मिलें खोलनी चाहिए जहां अभी ये इकाइयां मौजूद नहीं हैं।
फेडरेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को एथनॉल निर्माण के लिए गन्ना के वैकल्पिक स्रोतों पर भी ध्यान देना चाहिए जो उसकी कमाई का एक बेहतर माध्यम साबित हो सकता है।
हालांकि पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत पर पहुंचाने का है लेकिन यह लक्ष्य 2025-26 में ही अधिक हो आने की उम्मीद है।
उन्होंने विवरण देते हुए बताया कि किस तरह एथनॉल मिश्रण कार्यकर्म (ईबीपी) ने देश के क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) के आयात खर्च को घटाने में सहायता प्रदान की है। भारत अब भी पेट्रोलियम के अग्रणी आयातक देशों में शामिल है।
सहकारिता मंत्री के अनुसार चीनी मिलों को अग्रगामी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए और नई-नई टेक्नोलॉजी का उपयोग अपनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
चूंकि एथनॉल का निर्माण गन्ना के अतिरिक्त कई अन्य चीजों से भी हो सकता है इसलिए कार्यविधि का विविधिकरण करना उसके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
भारत को जीवाश्म ईंधन (फोसिक फ्यूल या पेट्रोलियम) पर निर्भरता घटाने की आवश्यकता है और साथ ही साथ निरंतर ऊर्जा स्रोतों का संवर्धन भी करना है। इसमें चीनी मिलें अहम योगदान दे सकती हैं।