iGrain India - नई दिल्ली । चना की घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने तथा बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने पहले पीली मटर के आयात के शुल्क तथा शर्तों से शुक्त कर दिया और फिर चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति प्रदान कर दी। जब इससे भी बात नहीं बनी तब देसी चना पर भंडारण सीमा लागू कर दिया।
लेकिन इन सभी उपायों का कोई खास सकारात्मक परिणाम अभी तक सामने नहीं आया। दरअसल 2023-24 के रबी सीजन में चना का उत्पादन काफी घट गया और थोक मंडी भाव ऊंचा रहने से नैफेड को इसकी खरीद में ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी।
इसके फलस्वरूप सरकार घरेलू बाजार में प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप नहीं करवा रही है। पिछले साल तक नैफेड के पास चना का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद था लेकिन उसने इसकी बिक्री बढ़ाकर स्टॉक घटा लिया।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने चना का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 123 लाख टन से घटकर 2023-24 के सीजन में 116 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है लेकिन उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि वास्तविक उत्पादन 90 लाख टन के आसपास ही हुआ।
पिछला स्टॉक कम था और विदेशों से भारी मात्रा में इसका आयात भी नहीं हो रहा है। दरअसल जब ऑस्ट्रेलिया तथा अफ्रीका में चना का निर्यात योग्य स्टॉक काफी घट गया तब भारत सरकार ने इसके शुल्क मुक्त आयात की स्वीकृति प्रदान की। अब ऑस्ट्रेलिया में नया चना जब अक्टूबर में आएगा तभी इसका आयात बढ़ सकता है।
इस बीच सितम्बर-अक्टूबर 2024 में त्यौहारी मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए थोक मंडियों में चना का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होने में संदेह है जिससे कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रह सकता है।
वर्तमान समय में देसी चना का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में 2000 रुपए प्रति क्विंटल से भी ज्यादा ऊंचा चल रहा है और निकट भविष्य में इसमें गिरावट आना मुश्किल लगता है।
सरकार यदि अपने स्टॉक को सस्ते दाम पर बेचने का प्रयास करे तो थोड़ी नरमी की संभावना बन सकती है। बड़े-बड़े उत्पादक अब भी चना का स्टॉक अपने पास रखे हुए है जो भाव तेज होने पर बाजार में उतार सकते हैं।