iGrain India - मुम्बई । भारत सरकार ने पहले दिसम्बर 2023 में पीली मटर के शुल्क मुक्त एवं नियंत्रण मुक्त आयात की अनुमति प्रदान की थी और बाद में उसकी समय सीमा 31 अक्टूबर 2024 तक बढ़ा दी।
लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि केवल पीली मटर के आयात की स्वीकृति दी गई है जबकि हरी मटर, दून मटर एवं कस्पा मटर आदि के आयात पर प्रतिबंध लागू रहेगा जिसे कनाडा, यूक्रेन एवं अर्जेन्टीना जैसे निर्यातक देशों में हरी मटर का भाव नरम पड़ने लगा है क्योंकि व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि भारत में इसके आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दिसम्बर 2023 से मई 2024 के दौरान भारत में करीब 18.50 लाख टन पीली मटर का आयात हुआ जिसमें कनाडा का योगदान 45 प्रतिशत तथा रूस का अंशदान 35 प्रतिशत रहा।
अप्रैल में 4.02 लाख टन का आयात हुआ जो मई में गिरकर 2.84 लाख टन रह गया। जून-जुलाई में आयात और भी घटने का अनुमान है क्योंकि प्रमुख निर्यातक देशों में इसका स्टॉक सीमित रह गया। अगस्त से आयात में सुधार हो सकता है जबकि सितम्बर से इसकी रफ्तार बढ़ने उम्मीद है।
काला सागर क्षेत्र के देशों- खासकर रूस एवं यूक्रेन से पीली मटर के नए माल का शिपमेंट जुलाई के अंतिम सप्ताह से आरंभ हो गया जबकि कनाडा से सितम्बर के पहले या दूसरे सप्ताह से इसका निर्यात जोर पकड़ने की संभावना है।
वहां अनेक पुराने अनुबंध खत्म हो गए जो बल्क के साथ-साथ कंटेनरों में भी शिपमेंट के लिए हुए थे। बाद में उसे पाकिस्तान और बांग्ला देश को बेच दिया गया। इससे निर्यातक सतर्क हो गए हैं और उसके पास स्टॉक भी कम बचा है।
घरेलू प्रभाग में आयातित पीली मटर का भाव मुम्बई में 37 रुपए तथा कोलकाता में 40 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक तमाम खपत के बाजवूद भारत में अभी लगभग 7.50 लाख टन पीली मटर का भारी-भरकम स्टॉक बचा हुआ है और यह देसी चना के 10-15 प्रतिशत विकास को पूरा करने में सक्षम है।
व्यापारिक संगठनों द्वारा सरकार से 31 अक्टूबर के बाद भी पीली मात्रा के शुल्क मुक्त आयात को बरकरार रखने का आग्रह किया जा रहा है। सरकार की तरफ भी इस पर सकारात्मक संकेत दिया गया है।
पीली मटर के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं होता है और न ही सरकार पर किसानों से इसकी खरीद का दायित्व रहता है।