iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा सितम्बर 2022 में 100 प्रतिशत टुकड़ा चावल (ब्रोकन राइस) तथा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू किए जाने तथा अगस्त 2023 में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाने के कारण वित्त वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में गैर बासमती चावल का कुल निर्यात घटकर 111.10 लाख टन पर सिमट गया जो वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात 178.60 लाख टन से 67.50 लाख टन कम था। वैसे इस अवधि में बासमती चावल का निर्यात 45.60 लाख टन से उछलकर 52.40 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल देश के सात मौसम उपखंडों (18 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र) में मानसूनी वर्षा का अभाव रहा था जिसमें पश्चिम बंगाल का गांगेय क्षेत्र, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक तथा केरल भी शामिल थे।
इन प्रांतों में धान- चावल क उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन इसके बावजूद केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अज्ञात कारणों से बताया कि चावल का उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ और यह 2022-23 के 1357.50 लाख टन से सुधरकर 2023-24 में 1367 लाख टन पर पहुंच गया।
इतना ही नहीं बल्कि कृषि मंत्रालय ने चावल की औसत उत्पादकता दर भी कुछ सुधरने का अनुमान लगाया है। यह आश्चयर्जनक आंकड़ा माना गया।
दूसरी ओर चावल की सरकारी खरीद जून 2024 तक 520 लाख टन पर ही पहुंच सकी जो जून 2023 तक इसकी खरीद 566 लाख टन से 46 लाख टन कम रही।
1 अगस्त 2024 को सरकार के पास कुल मिलाकर 454.80 लाख टन चावल का विशालकाय भंडार मौजूद था जिसमें 327.50 लाख टन चावल का प्रत्यक्ष स्टॉक तथा 127.30 लाख टन चावल के समतुल्य धान का स्टॉक शामिल था।
नियमानुसार 1 अक्टूबर 2024 को केन्द्रीय पूल में कम से कम 102.50 लाख टन चावल का स्टॉक होना चाहिए जबकि इस बार वास्तविक स्टॉक इस न्यूनतम आवश्यक मात्रा से बहुत अधिक रहेगा।