iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय चावल निर्यातकों को आगामी समय में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि प्रमुख शिपिंग कंपनियों द्वारा पश्चिम अफ्रीका के लिए कंटेनरों में चावल के निर्यात शिपमेंट को प्रोत्साहन मिलेगा।
इससे पश्चिम अफ्रीका के देशों में और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी चावल की मांग बढ़ जाएगी। व्यापार विश्लेषको के अनुसार मुख्यत: कंटेनर कारोबार पर आश्रित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों को इससे सहयोग-समर्थन मिलने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि मध्य मई से जुलाई 2024 तक कंटेनरों का किराया भाड़ा 150-200 प्रतिशत तक बढ़ गया और भारत के विशाखापटनम बंदरगाह से अफ्रीका के कोरोनोऊ बंदरगाह तक तक का किराया बढ़कर 4000-5000 डॉलर प्रति टीईयू पर पहुंच गया।
दिसम्बर 2023 में यह इसके मुकाबले करीब 2800 डॉलर प्रति टीईयू नीचे था। दरअसल लाल सागर का जल मार्ग हूती विद्रोहियों के हमले से प्रभावित होने के कारण भारतीय शिपिंग कंपनियों को पश्चिमी अफ्रीकी के लिए जहाजों को अलग मार्ग से भेजना पड़ा जो लम्बा था।
इसके फलस्वरूप कंटेनरों का अभाव होने लगा और किराया-भाड़ा बढ़ने लगा। प्रमुख बंदरगाहों पर निर्यात शिपमेंट के लिए माल का भंडार बढ़ गया और जगह की कमी पड़ें लगी।
उधर अमरीका द्वारा चाइनीज उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने से चीन को अग्रिम में अधिक से अधिक कंटेनरों पर लोडिंग करने के लिए विषय हुआ पड़ा ताकि उत्पादों को अन्य देशों में भेजा जा सके।
इतना ही नहीं बल्कि शिपिंग कंपनियों ने पिछले से माह से भारत से पश्चिम अफ्रीका के लिए अपनी समर्थित सेवा को भी बंद कर रखा था। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कंटेनरों की कमी महसूस की जा रही थी।
छत्तीसगढ़ के एक निर्यातक का कहना है कि कंटेनरों के किराया भाड़ा में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होने के कारण भारत से कंटेनरों में गैर बासमती चावल के निर्यात शिपमेंट में करीब 90 प्रतिशत की जोरदार आ गई और मुख्यत: बल्क में ही निर्यात होता रहा। अब सरकारी हस्तक्षेप के बाद शिपिंग कंपनियां कंटेनरों का किराया घटाने पर सहमत हो गई है।