iGrain India - पुणे । पश्चिमी प्रान्त- महाराष्ट्र में इस वर्ष दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की अच्छी और नियमित बारिश होने से किसानों को सही समय पर खरीफ फसलों की बिजाई समाप्त करने का अवसर मिल रहा है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राज्य में नियत लक्ष्य के 98 प्रतिशत भगत में खरीफ फसलों की बिजाई पहले ही पूरी हो चुकी है जिसमें गन्ना शामिल नहीं है।
कृषि विभाग ने 142.02 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारत किया था जबकि 139.46 लाख हेक्टेयर में बिजाई की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। गन्ना को भी शामिल करने पर कुल बिजाई क्षेत्र का औसत 152.97 लाख हेक्टेयर बैठता है।
7 अगस्त 2024 तक महाराष्ट्र में 141.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बिजाई हुई थी जो नियत लक्ष्य का 92 प्रतिशत थी।
इसके मुकाबले पिछले साल की समान अवधि में 133.67 लाख हेक्टेयर या 87 प्रतिशत भाग में फसलों की बिजाई हुई थी। गन्ना को हटाने पर कुल क्षेत्रफल 131.75 लाख हेक्टेयर रहा था।
कृषि विभाग के अनुसार कुछ भागों में धान की दोबारा रोपाई की जरूरत पड़ी और यह अब लगभग पूरी हो गई है। इसी तरह मिलेट्स की दोबारा बिजाई भी समाप्त हो चुकी है।
इसके अलावा ज्वार, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, अरहर (तुवर), उड़द, मूंग, मूंगफली तथा कपास की बिजाई अब बिलकुल अंतिम चरण में पहुंच गई है जबकि अन्य फसलें प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं।
कई इलाकों में सोयाबीन की फसल में फूल लगने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। मूंग तथा उड़द के पौधों का बेहतर ढंग से विकास-विस्तार हो रहा है। मूंगफली एवं कपास की फसल अच्छी हालत में है।
हालांकि कुल मिलाकर महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की हालत संतोषजनक है मगर भारी वर्षा एवं बाढ़ से कोंकण, पुणे, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजी नगर तथा नागपुर संभाग में फसलों को आंशिक नुकसान पहुंचने की सूचना मिल रही है।
जून से 5 अगस्त 2024 के दौरान महाराष्ट्र में 766.5 मि०मी० वर्षा हुई जो सामान्य औसत 584.6 मि०मी० के काफी अधिक थी। पिछले साल वहां कम बारिश हुई थी। इस वर्ष जुलाई में अत्यंत भारी वर्षा से खरीफ फसलें कुछ इलाकों में क्षतिग्रस्त हो गई।