iGrain India - नई दिल्ली । ऊंचे बाजार भाव से उत्साहित भारतीय किसानों ने दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश का सहारा पाकर इस बार खरीफ कालीन दलहन फसलों की बिजाई का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जिसमें उसे सफलता भी हासिल हुई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 12 अगस्त तक दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 117.45 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 110.10 लाख हेक्टेयर से 7.35 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
लेकिन चालू वर्ष का रकबा 2022 के क्षेत्रफल 125.55 लाख हेक्टेयर तथा 2021 के बिजाई क्षेत्र 132.15 लाख हेक्टेयर से काफी पीछे चल रहा है। दरअसल वर्ष 2023 में मानसून की कम बारिश एवं कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति के कारण दलहनों की बिजाई घट गई थी।
पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन में अरहर (तुवर) एवं मूंग के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर उड़द तथा मोठ का रकबा पीछे हो गया है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर तुवर का उत्पादन क्षेत्र 38.50 लाख हेक्टेयर से उछलकर 44.55 लाख हेक्टेयर तथा मूंग का बिजाई क्षेत्र 23.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं गुजरात में तुवर तथा राजस्थान में मूंग का रकबा बढ़ने की सूचना मिल रही है।
दूसरी ओर इसी अवधि में उड़द का उत्पादन क्षेत्र 28.85 लाख हेक्टेयर से गिरकर 27.75 लाख हेक्टेयर तथा मोठ का बिजाई क्षेत्र 9.30 लाख हेक्टेयर से 8.70 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
कुलथी का रकबा भी 4 हजार हेक्टेयर पीछे चल रहा है। उड़द के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- मध्य प्रदेश में मानसून की वर्षा का असमान वितरण होने से किसानों को फसल का रकबा बढ़ाने में कठिनाई हो रही है।
ध्यान देने की बात है कि तुवर और उड़द- दोनों का बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है जबकि सरकार ने भी किसानों से इसकी सम्पूर्ण बिक्री योग्य मात्रा खरीदने की घोषणा की है।
तुवर के बिजाई क्षेत्र में तो 605 लाख हेक्टेयर की शानदार बढ़ोत्तरी हुई है मगर उड़द का क्षेत्रफल 1.10 लाख हेक्टेयर घट गया है।