iGrain India - ग्वालियर । मध्य प्रदेश से बांग्ला देश को भारी मात्रा में खल सरसों (डीओसी) का निर्यात होता रहा है मगर वहां हालात अत्यन्त खराब होने से मिलर्स को अपने उत्पाद का निर्यात करने में सफलता नहीं मिल रही है।
इससे लगभग 150 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है और तकरीबन 20 हजार लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।
बांग्ला देश में भारत से भारी मात्रा में आयातित सरसों डीओसी (रेपसीड एक्सट्रैक्शन) का उपयोग पॉल्ट्री फीड एवं पशु आहार निर्माण में किया जाता है।
मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चम्बल संभाग सरसों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और वहां इसकी क्रशिंग- प्रोसेसिंग की अनेक इकाइयां क्रियाशील हैं। इन इकाइयों से खल सरसों की भारी मात्रा की निकासी होती है।
बांग्ला देश भारतीय सरसों खल का एक महत्वपूर्ण खरीदार रहा है लेकिन अभी वहां भयंकर राजनैतिक अराजकता का माहौल देखा जा रहा है।
हालांकि भारत से जल मार्ग के जरिए बांग्ला देश को प्याज भेजने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है लेकिन हालात को पूरी तरह सामान्य होने में लम्बा वक्त लग सकता है।
ग्वालियर-चम्बल संभाग में सरसों तेल मिलों की संख्या 50 से ज्यादा है जबकि निकटवर्ती प्रान्त- राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में भी 150 से अधिक तेल मिलने क्रियाशील हैं।
इस क्षेत्र में उत्पादित सरसों डीओसी की अधिकांश लगभग 90 प्रतिशत मात्रा का निर्यात बांग्ला देश को किया जाता है और वह इसका सबसे प्रमुख बाजार बना हुआ है।
हाल की हिंसा एवं राजनैतिक अस्थिरता के कारण बांग्ला देश में आम लोगों की ज़िंदगी के साथ-साथ उद्योग-व्यापार क्षेत्र भी अस्त-व्यस्त हो गया है।
ऐसी हालत में मध्य प्रदेश से वहां सरसों डीओसी का निर्यात ठप्प पड़ना स्वाभाविक ही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि निर्यात की प्रक्रिया कब से शुरू हो पाएगी।
मुरैना तेल मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि बांग्ला देश में हालत बहुत खराब है और जब तक वहां निर्वाचित सरकार सत्ता में नहीं आती है तब तक स्थिति में सुधार आना मुश्किल है।
बांग्ला देश की राजनैतिक स्थिरता ने मध्य प्रदेश के सरसों खल के निर्यात कारोबार को लगभग पूरी तरह ठप्प कर दिया है।
सरसों खल के अनेक रैक अब भी खड़े हैं। मुरैना से करीब 30 रैक में ही डीओसी भेजा जाता था जो जुलाई से ही बंद है।