iGrain India - राजकोट । देश के सबसे प्रमुख मूंगफली उत्पादक प्रान्त- गुजरात में बिजाई क्षेत्र बढ़ने तथा किसानों द्वारा नियमित रूप से मंडियों में अपना स्टॉक उतारे जाने से इस महत्वपूर्ण तिलहन के दाम पर दबाव देखा जा रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन के बाद से ही मूंगफली का भाव स्थिर या नरम बना हुआ है।
गुजरात में मूंगफली के बिजाई क्षेत्र में इस बार अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। मौसम एवं मानसून की हालत सामान्य है, निर्यात मांग कमजोर देखी जा रही है और घरेलू प्रभाग में भी इसकी खपत कम हो रही है।
जब तक वर्तमान खरीफ सीजन की नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ नहीं होती तब तक मौजूदा स्थिति में भारी बदलाव होना मुश्किल लगता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 के बाद पहली बार गुजरात में मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 18 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंचा है।
9 अगस्त 2024 तक राज्य में इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण तिलहन फसल का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 19 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि के क्षेत्रफल 16 लाख हेक्टेयर से करीब 17 प्रतिशत ज्यादा है।
दरअसल इस बार राज्य के किसानों ने कपास का रकबा घटाकर मूंगफली का बिजाई क्षेत्र बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
मूंगफली की फसल 100-120 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है जबकि कपास की फसल 180 दिनों का समय लेती है।
अखिल भारतीय स्तर पर भी मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 8.4 प्रतिशत बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। गत वर्ष यह 42 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा था।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक हाल के समय में घरेलू एवं वैश्विक बाजार में मूंगफली दाने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है।
इसकी घरेलू खपत वित्त वर्ष 2021-22 में 79 लाख टन पर पहुंची थी जो 2023-24 में लुढ़ककर 52 लाख टन पर सिमट गई। 2024-25 के वर्तमान वित्त वर्ष में इसकी खपत सुधरकर 61 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है।
मूंगफली का वार्षिक निर्यात 8.50-9.00 लाख टन तक पहुंचने के आसार हैं। वैश्विक स्तर पर 44 से 49 लाख टन के बीच मूंगफली का निर्यात कारोबार होने का अनुमान है।
गुजरात के साथ-साथ इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में भी मूंगफली के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।