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गुजरात में कमजोर बिजाई से तिल और अरंडी का रकबा गत वर्ष से पीछे

प्रकाशित 15/08/2024, 01:27 am
गुजरात में कमजोर बिजाई से तिल और अरंडी का रकबा गत वर्ष से पीछे
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iGrain India - नई दिल्ली (भारती एग्री एप्प)। अरंडी के उत्पादन में गुजरात देश का सबसे अग्रणी राज्य है और इसके कुल घरेलू उत्पादन में करीब 75-80 प्रतिशत का योगदान देता है।

वहां आमतौर पर जुलाई से इसकी बिजाई शुरू होती है और अगस्त में रफ्तार बहुत बढ़ जाती है। लेकिन इस बार सौराष्ट्र संभाग में अरंडी की बिजाई की गति तेज करने में किसानों को सफलता नहीं मिल रही है।

इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर अरंडी का कुल उत्पादन क्षेत्र इस बार 12 अगस्त तक केवल 2.44 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 5.34 लाख हेक्टेयर से 2.90 लाख हेक्टेयर कम है।

इससे पहले इसका क्षेत्रफल 2022 में 6.01 लाख हेक्टेयर तथा 2021 में 4.65 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था। 

तिल की बिजाई में भी गुजरात बिछड़ रहा है। इसके बजाए वहां सोयाबीन, मक्का एवं तुवर की खेती पर विशेष जोर दिया गया है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक अखिल भारतीय स्तर पर तिल का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 11.15 लाख हेक्टेयर से एक लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 10.15 लाख हेक्टेयर रह गया जो 2022 के बिजाई क्षेत्र 12.24 लाख हेक्टेयर  एवं 2021 के क्षेत्रफल 12.38 लाख हेक्टेयर से बहुत पीछे है। 

हालांकि शेष सभी तिलहन फसलों की बिजाई में बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी तथा नाइजर सीड शामिल है लेकिन अरंडी और तिल का रकबा घटने से तिलहनों के कुल उत्पादन क्षेत्र में 1.50 लाख हेक्टेयर का ही इजाफा हो सका।

पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 122.90 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 124.70 लाख हेक्टेयर,

मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 41.60 लाख हेक्टेयर से उछलकर 45.40 लाख हेक्टेयर तथा सुजरमुखी का क्षेत्रफल 62 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 69 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है। नाइजर सीड का रकबा भी 5 हजार हेक्टेयर बढ़ा है।                                                                                                                

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