iGrain India - मुम्बई । महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की बिजाई लगभग पूरी हो चुकी है। वहां दक्षिण पश्चिम मानसून इस बार काफी मेहरबान रहा है जबकि पिछले साल नाराज हो गया था।
सही समय पर अच्छी बारिश होने के कारण राज्य के किसी भाग में किसानों को फसलों की बिजाई करने में कठिनाई नहीं हुई और कुछ फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने का अवसर भी मिल गया।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र देश में अरहर (तुवर), कपास, सोयाबीन तथा गन्ना का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है।
इसके अलावा वहां ज्वार, बाजार, मूंग, मक्का, मूंगफली, उड़द एवं धान सहित कुछ अन्य फसलों की खेती भी खरीफ सीजन के दौरान होती है।
जुलाई 2024 के दौरान महाराष्ट्र के कुछ जिलों में मूसलाधार वर्षा होने तथा खेतों में पानी भर जाने से कुछ खरीफ फसलों को सीमित क्षेत्रफल में नुकसान हुआ था और कहीं-कहीं उसकी दोबारा बिजाई की आवश्यकता भी महसूस हुई। धान और मिलेट्स की खेती बाद में भी जारी रही।
राज्य में इस बार खरीफ फसलों का सामान्य औसत क्षेत्रफल 142.02 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि 12 अगस्त तक वहां 139.46 लाख हेक्टेयर या 98 प्रतिशत भाग में फसलों की बिजाई पूरी हो चुकी थी।
पिछले साल 7 अगस्त तक राज्य में खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र 133.67 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था जिसमें गन्ना का रकबा भी शामिल था।
महाराष्ट्र के पुणे, कोल्हापुर एवं नागपुर संभाग के कुछ जिलों में मानसून की भारी बारिश होने से खरीफ फसलों को क्षति होने की सूचना है। अब सबका ध्यान वर्षा तथा फसलों की प्रगति पर केन्द्रित है क्योंकि इस पर ही उत्पादन निर्भर करेगा।