iGrain India - हैदराबाद । प्रमुख आयातक देशों में मांग कमजोर पड़ने तथा खरीफ सीजन में घरेलू उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद से भारतीय चावल का निर्यात ऑफर मूल्य नरम पड़ गया है।
राष्ट्रीय स्तर के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी होने तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा का दौर जारी रहने से इस वर्ष चावल के बेहतर उत्पादन के आसार हैं।
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है। प्राप्त सूचना के अनुसार चालू सप्ताह के दौरान 5 प्रतिशत टूटे गैर बासमती सेला चावल का निर्यात ऑफर मूल्य गिरकर 536-540 डॉलर प्रति टन रह गया जो पिछले सप्ताह 539-545 डॉलर प्रति टन पर था।
इसके फलस्वरूप थाईलैंड तथा वियतनाम जैसे देशों की तुलना में भारतीय चावल के दाम का अंतर बढ़ गया है। पहले यह अंतर कम होने से भारतीय चावल की मांग कुछ सुस्त पड़ गई थी।
अच्छी बात यह रही कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर घटकर चालू सप्ताह में रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई जिससे भारतीय चावल की खरीद के प्रति विदेशी आयातकों की दिलचस्पी बढ़ने तथा भारतीय निर्यातकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि के दौरान वियतनाम के 5 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात ऑफर मुल्य पिछले सप्ताह के 565 डॉलर प्रति टन से बढ़कर चालू सप्ताह में 570 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार वियतनाम में घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति घटने लगी है जबकि इंडोनेशिया तथा अफ्रीकी देशों से किए गए अनुबंधों के तथा निर्यातकों को चावल की डिलीवरी बढ़ाने की जरूरत है इसलिए उसे ऊंचे दाम पर इसकी खरीद करनी पड़ रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जून की तुलना में जुलाई 2024 के दौरान वियतनाम से चावल का निर्यात 46.3 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी के साथ 7.51 लाख टन पर पहुंच गया।
इसके साथ ही वहां से चालू वर्ष के शुरुआती 7 महीनों के दौरान चावल का कुल निर्यात बढ़कर 53 लाख टन पर पहुंचा जो वर्ष 2023 की समान अवधि के कुल शिपमेंट से 8.3 प्रतिशत अधिक रहा।