iGrain India - बंगलोर । दक्षिणी प्रान्त- कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में विशिष्ट किस्म की तुवर का उत्पादन होता है इसे उसकी खासियत के लिए जी आई टैग (भौगोलिक संकेतक का दर्जा) हासिल है। कलबुर्गी जिले के उत्पादकों ने इस प्रीमियम क्वालिटी की तुवर (अरहर) के लिए सरकार से एक अलग न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का आग्रह किया है।
उत्पादकों का कहना है कि सामान्य श्रेणी की अरहर के मुकाबले जी आई टैग वाली तुवर के समर्थन मूल्य में करीब 20 प्रतिशत का इजाफा होने पर ही इसे विशिष्ट पहचान तथा मान्यता मिलेगी और अधिक से अधिक किसानों को इसकी कहती करने का प्रोत्साहन प्राप्त होगा। कर्नाटक देश में तुवर का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य बन गया है।
कर्नाटक प्रदेश रेड ग्राम प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए पीएमओ को एक ज्ञापन भेजा है जिसमें जी आई टैग वाले उत्पाद के लिए वैज्ञानिक तरीके से उचित मूल्य नियत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
वर्तमान समय में सभी किस्मों एवं श्रेणियों की तुवर के लिए एक ही स्तर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित होता है तो 2024-25 सीजन के लिए 7550 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ है। यह समर्थन मूल्य 2023- 24 के 7000 रुपए प्रति क्विंटल से 7.9 प्रतिशत ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि कलबुर्गी जिले में उत्पादित तुवर को वर्ष 2019 में जी आई टैग प्राप्त हुआ था। वहां इसकी अधिकांश खेती वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में होती है लेकिन वहां मिटटी की क्वालिटी के कारण यह दलहन बहुत खास बन जाता है।
उस मिटटी में कैल्शियम तथा पोटाशियम का अंश काफी ऊंचा रहता है इसलिए उसमें तुवर से निर्मित दाल का स्वाद एवं सुगंध अनोखा होता है। इसमें प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहता है जिससे यह अत्यन्त स्वास्थ्यवर्धक या पौष्टिक बन जाता है।
एसोसिएशन का कहना है कि विभिन्न खूबियों के कारण इस दलहन की मार्केटिंग अलग ढंग से करने की जरूरत है। जुलाई 2024 में जी आई टैग रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा 14 एफपीओ को जी आई सर्टिफिकेट का उपयोग करने का प्रमाण पत्र जारी किया गया।
इन एफपीओ के तहत करीब 1500 किसान पंजीकृत है जिनको जी आई टैग स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो गया है।