iGrain India - मैसूर । कर्नाटक के तुंगभद्रा नदी पर निर्मित बांध के क्षतिग्रस्त हो जाने से पानी की भारी बर्बादी हो रही है जिससे किसानों को दूसरे (रबी) सीजन में उच्च क्वालिटी के धान की खेती करने में भारी कठिनाई हो सकती है।
वहां दूसरे सीजन के दौरान सोना मसूरी एवं आर एन आर जैसे फाइन संवर्ग के धान की खेती ज्यादा होती है। इसकी खेती एवं सिंचाई के लिए तुंगभद्रा बांध से पानी की आपूर्ति होती है।
किसानों को आशंका है कि अगर डैम में पानी का स्तर नीचे गिर गया तो धान की रोपाई में भारी समस्या पैदा हो सकती है और साथ ही साथ पेयजल का गंभीर संकट भी उत्पन्न हो सकता है। पिछले सप्ताह इस बांध का क्रेस्ट गेट बह गया।
तुंगभद्रा जलाशय वस्तुतः कर्नाटक के पूर्वी भाग में होस्पेट के निकट है जो कर्नाटक के कुछ भागों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में भी फसलों की सिंचाई का मुख्य स्रोत माना जाता है।
कर्नाटक राज्य रैयत संघ के अध्यक्ष का कहना है कि अभी प्रभाव के बारे में कोई अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि क्षतिग्रस्त गेट के साथ एक नए गेट के निर्माण का प्रयास हो रहा है।
वैसे भी खरीफ कालीन धान की फसल के लिए कोई खतरा नहीं है लेकिन यदि लीकेज की समस्या जल्दी दूर नहीं हुई तो अगली फसल के लिए खतरा बढ़ सकता है। बांध से पानी का बहाव निरन्तर जारी है।
ध्यान देने की बात है कि तुंगभद्रा कमांड एरिया में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है और यह वहां की मुख्य फसल है।
हालांकि कर्नाटक में धान का अधिकांश उत्पादन खरीफ सीजन में होता है जबकि सिंचाई सुविधा वाले इलाकों में किसान दिसम्बर-जनवरी में दूसरे सीजन के दौरान भी धान की अच्छी खेती करते हैं।