iGrain India - हल्दी का हाजिर व्यापार कम : उत्पादक केन्द्रों पर बिजाई अधिक
नई दिल्ली । विगत कुछ समय से हल्दी में हाजिर एवं लोकल व्यापार सीमित रह गया है। जिस कारण से भाव भी दबे हुए है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अभी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है लेकिन भाव काफी घट जाने के कारण अब गिरते भाव रुकने चाहिए। सूत्रों का कहना है कि हालांकि यह सच है कि हल्दी की कीमतें गत वर्ष की तुलना अधिक होने के कारण बिजाई के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है और चालू सीजन के दौरान उत्पादक राज्यों में हल्दी की बिजाई का क्षेत्रफल 25/30 प्रतिशत अधिक रहा है। बिजाई के पश्चात अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। सूत्रों का मानना है कि चालू सीजन के दौरान देश में हल्दी की बिजाई का क्षेत्रफल 4/4.25 लाख हेक्टेयर के आसपास रहेगा। जबकि गत वर्ष 3/3.25 लाख हेक्टेयर पर हल्दी की बिजाई की गई थी।
कीमतों में गिरावट
चालू सप्ताह के दौरान हल्दी की कीमतों में गिरावट रही। एक और जहां उत्पादक केन्द्रों पर हल्की क्वालिटी के मालों की आवक रही। वहीँ दूसरी तरफ लोकल एवं निर्यात व्यापार कम रहा। डंकी मालों की आवक भी अधिक रही। इरोड मंडी में हल्दी की दैनिक आवक बढ़कर 5/6 हजार बोरी की हो गई है। और चालू सप्ताह के दौरान कीमतों में 300/500 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा रहा। हिंगौली मंडी में आवक 8/10 हजार बोरी की हो गई है भाव भी 200/400 रुपए प्रति क्विंटल मंदे के साथ बोले गए हैं। हालांकि अभी भी भाव गत वर्ष की तुलना में ऊंचे चल रहे हैं। लेकिन उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर स्टॉक पर्याप्त न होने के कारण आगामी दिनों में कीमतों में तेजी आने के व्यापारिक अनुमान लगाये जा रहे हैं। क्योंकि नई फसल आने में अभी लगभग 6 माह का समय शेष है। जिस कारण अक्टूबर-नवम्बर माह बाजारों में तेजी देखने को मिल सकती है। वायदा बाजार में चालू सप्ताह के दौरान हल्दी के भावों में सीमित उतार-चढ़ाव रहा। अगस्त माह की हल्दी 15620 रुपए खुलने के पश्चात 15650 रुपए पर बंद हुई। जबकि अक्टूबर का भाव 16498 रुपए खुलकर सप्ताह के अंत में 16112 रुपए पर बंद हुआ है।
रुकने चाहिए गिरते भाव
सूत्रों का कहना है कि हल्दी की गिरती कीमतें अब रुकनी चाहिए। क्योंकि अच्छी क्वालिटी के मालों की बाजारों में कमी बनी हुई है। वर्तमान में मंडियों में जो आवक हो रही है। उसमें अधिकांश माल हल्की क्वालिटी के आ रहे है। वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर स्टॉक गत वर्ष की तुलना में कम माना जा रहा है। क्योंकि गत वर्ष पैदावार कम रहने के कारण उत्पादक केन्द्रों पर स्टॉक कम हुआ था। गत वर्ष में देश में हल्दी की पैदावार 45/50 लाख बोरी (एक बोरी 60 किलो) के आसपास रही। लेकिन बकाया स्टॉक नई फसल की आवक के समय 35/38 लाख बोरी का था और कुल उपलब्धता 80/85 लाख बोरी की रही। लेकिन इस वर्ष नई फसल पर बकाया स्टॉक लगभग समाप्त हो जाएगा। और आने वाली फसल 70/75 लाख बोरी आने के पश्चात भी आगामी सीजन में हल्दी की उपलब्धता कम रहेगी। सूत्रों का कहना है कि अगर आगामी दिनों में मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो पैदावार 70/75 लाख बोरी की आएगी। अगर मौसम खराब होता है तो पैदावार घट सकती है। वर्ष 2023 में देश में हल्दी की पैदावार 80/85 लाख बोरी एवं 2022 में पैदावार 75/80 लाख बोरी की रही थी।
स्टॉक
जानकार व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी का स्टॉक 32/35 लाख बोरी होने के समाचार हैं। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में सांगली में स्टॉक 5 लाख बोरी, निजामाबाद में 4/4.50 लाख बोरी, दुग्गीराला एवं कडप्पा में 4/5 लाख बोरी के अलावा वारंगल में 1.50/1.75 लाख बोरी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इरोड एवं सेलम में स्टॉक 4 लाख बोरी माना जा रहा है। जबकि मराठवाड़ा में स्टॉक 11/12 लाख बोरी होने के अनुमान लगाएं जा रहे हैं।
निर्यात घटा
चालू सीजन के दौरान हल्दी की कीमतें ऊंची होने के कारण हल्दी निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान हल्दी का निर्यात 162019 टन का किया गया है जबकि वर्ष 2022-23 में निरयत 170094 टन का रहा था। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के प्रथम दो माह अप्रैल-मई में भी निर्यात कम हुआ है। अप्रैल 2024 में निर्यात 14109 टन का हुआ है जबकि गत वर्ष अप्रैल - 2023 के निर्यात 19590.87 टन का किया गया था। मई 2023 में हल्दी का निर्यात 19827.86 टन का किया गया था जबकि मई 2024 में निर्यात 17415 टन का हुआ है। जनवरी-मई - 2023 के दौरान कुल निर्यात 85528.23 टन का हुआ था जोकि जनवरी-मई 2024 में घटकर 72371.43 टन का रह गया।