iGrain India - चंडीगढ़ । बासमती चावल के एक अग्रणी उत्पादक एवं निर्यातक प्रान्त- पंजाब में चालू खरीफ सीजन के दौरान बासमती धान की खेती में किसानों ने भारी उत्साह दिखाया जिससे इसके उत्पादन क्षेत्र में 12.58 प्रतिशत का इजाफा हो गया।
2023-24 के मार्केटिंग सीजन में बासमती धान का थोक मंडी भाव ऊंचा रहने से उत्पादकों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हुई जिससे इसकी खेती में उसकी दिलचस्पी बढ़ गई।
पंजाब के कृषि मंत्री का कहना है की फसल विविधिकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे जोरदार प्रयासों के कारण भी बासमती धान का क्षेत्रफल बढ़ाने में सहायता मिली है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पंजाब में पिछले साल बासमती धान का रकबा 5.96 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्षा में बढ़कर 6.71 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। ऊंची कीमत प्राप्त होने से किसान इस बार काफी उत्साहित हैं।
पंजाब में बासमती धान की खेती में अमृतसर जिला सबसे आगे है जहां इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 1.46 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
इसके बाद बासमती धान का क्षेत्रफल मुक्तसर जिला में 1.10 लाख हेक्टेयर, फाजिल्का में 84,900 हेक्टेयर, तरन तारन में 72,500 हेक्टेयर तथा संगरूर में 49,800 हेक्टेयर दर्ज किया गया।
कृषि मंत्री के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान राज्य में डायरेक्ट सडिंग ऑफ राइस (धान की सीधी बिजाई या डीएसआर) पद्धति से धान की खेती के क्षेत्रफल में 46.5 प्रतिशत की शानदार बढ़ोत्तरी हुई जिससे पानी की बचत हो रही है।
इस डीएसआर विधि से धान का बिजाई क्षेत्र पिछले साल 1.72 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्ष के दौरान बढ़कर 2.52 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया। इस विधि से धान की बिजाई के लिए खेतों में पानी का जमाव होना आवश्यक नहीं है।
पंजाब सरकार ने बासमती धान की फसल पर छिड़काव के लिए 10 कीटनाशी रसायनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है ताकि विश्वस्तरीय मानक के अनुरूप निर्यात क्वालिटी के सुगंधित बासमती चावल का उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।