iGrain India - बंगलोर । दक्षिण-पश्चिम मानसून की नियमित रूप से हो रही अच्छी बारिश के सहारे यूं तो देश के विभिन्न भागों में स्थित बांधों और जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है मगर इसमें भी खासकर दक्षिण भारत को विशेष फायदा हो रहा है।
इस वर्ष जून तक वहां 3-4 जलाशय पूरी तरह सूख गए थे मगर अब उसमें पानी का भारी स्टॉक मौजूद है। इससे देश जल के साथ-साथ विभिन्न फसलों की सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा।
दक्षिण भारत के नौ में से पांच जलाशय अब पानी से लबालब भर गए हैं जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 42 बांधों में कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले 79 प्रतिशत पानी का स्टॉक हो गया है।
पहले यह स्टॉक घटकर 50 प्रतिशत से भी नीचे आ गया था। तमिलनाडु में 94 प्रतिशत तक जलाशय भर गए हैं। वहां 7 में से 2 जलाशय में 100 प्रतिशत तथा 2 अन्य जलाशय में 94 प्रतिशत पानी का स्टॉक है। इन दो जलाशयों से तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में भी जलापूर्ति होती है।
मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान मानसून सीजन के दौरान सामान्य औसत के मुकाबले जून में 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई मगर जुलाई में 9 प्रतिशत अधिशेष बारिश दर्ज की गई।
अगस्त में भी शुरूआती पंद्रह दिनों के दौरान 15 प्रतिशत अधिक पानी बरसा। इसके फलस्वरूप 1 जून से 15 अगस्त 2024 के दौरान देश में दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष 105 प्रतिशत वर्षा हुई।
दिलचस्पी तथ्य यह है कि इस शानदार स्थिति के बावजूद देश के जिन 725 जिलों से आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं उसमें से कम से कम 30 प्रतिशत जिलों में सामान्य औसत से कम वर्षा होने की सूचना मिल रही है।
दूसरी ओर अनेक ऐसे जिले भी हैं जहां सामान्य औसत से कम वर्षा होने की सूचना मिल रही है। दूसरी ओर अनेक ऐसे जिले भी हैं जहां सामान्य स्तर से बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण बाढ़ आ गई और खेतों में पानी भरने से खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा।
अल नीनो की वजह से पिछले साल कर्नाटक बुरी तरह प्रभावित हुआ था और वहां गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया था मगर अब उसके बांधों-जलाशयों में 84 प्रतिशत भंडारण क्षमता के समतुल्य पानी का स्टॉक हो गया है।
इसी तरह केरल में 63 प्रतिशत तथा तेलंगाना में 54 प्रतिशत पानी का स्टॉक मौजूद है। लेकिन आंध्र प्रदेश के चार जलाशयों में महज 24 प्रतिशत पानी का स्टॉक बचा है।