iGrain India - नई दिल्ली । मानसून की अच्छी बारिश एवं बिजाई क्षेत्र में हो रही बढ़ोत्तरी के कारण खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर होने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे आगामी महीनों में खाद्य महंगाई से आम लोगों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक बुलेटिन में कहा गया है कि चालू माह (अगस्त) के दौरान अनाजों, दाल-दलहनों एवं खाद्य तेलों के दाम में काफी कमी आई है जिससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल महंगाई दर जून के 5.1 प्रतिशत से घटकर जुलाई में 3.5 प्रतिशत पर आ गई।
महंगाई दर में 1.54 प्रतिशत बिंदु की गिरावट आने का प्रमुख कारण 2.9 प्रतिशत का अनुकूल तुलनात्मक आधार है।
खाद्य महंगाई में आई गिरावट से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है मगर सब्जियों और फलों का भाव ऊपर चढ़ रहा है।
अनाजों दाल-दलहनों एवं खाद्य तेलों के दाम में अत्यन्त ऊंचे स्तर पर थोड़ी नरमी आई है जबकि आलू, प्याज, टमाटर का भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
रिजर्व बैंक की बुलेटिन के अनुसार यद्यपि कोर महंगाई दर 2022-23 से ही नीचे आ रही है जिसके लिए मौद्रिक नीति से संबंधित उपायों को श्रेय दिया जा सकता है लेकिन दो-तीन वर्षों के दौरान खाद्य उत्पादों के दाम में हुई जबरदस्त बढ़ोत्तरी के कारण कुल महंगाई दर का ग्राफ काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने कुछ श्रेणियों के चावल, गेहूं तथा इसके उत्पादों एवं चीनी आदि पर निर्यात प्रतिबंध लगा रखा है, पांच प्रमुख दलहनों के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है
और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को घटकर न्यूनतम स्तर पर निर्धारित कर दिया है लेकिन फिर भी इन उपायों का ठोस सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है। खाद्य महंगाई का असर अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है क्योंकि आम लोगों की बचत में कमी आ रही है और बाजार में सामान महंगा हो गया है।