iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर खरीफ कालीन तिलहन फसलों का रकबा अब भी गत वर्ष से आगे चल रहा है मगर इसमें बढ़ोत्तरी का दायरा काफी सीमित रह गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 20 अगस्त 2024 तक तिलहनों का कुल उत्पादन क्षेत्र 186.77 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया जो पिछले साल की इसी अवधि के बिजाई क्षेत्र क्षेत्र 185.13 लाख हेक्टेयर से महज 1.64 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
यह स्थिति तब है जब गत वर्ष के मुकाबले इस बार सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 123.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर तथा मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 42.61 लाख हेक्टेयर से उछलकर 46.36 लाख हेक्टेयर हो गया है।
सूरजमुखी का क्षेत्रफल 65 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 70 हजार हेक्टेयर तथा नाइजर सीड का बिजाई क्षेत्र 24 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 27 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा है।
दरअसल तिल एवं अरंडी की बिजाई गत वर्ष से पीछे चल रही है। तिल का रकबा 11.35 लाख हेक्टेयर से गिरकर 10.55 लाख हेक्टेयर तथा अरंडी का बिजाई क्षेत्र 6.38 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.74 लाख हेक्टेयर रह गया है। गुजरात और राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में इसकी बिजाई अभी जारी है।
सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में पहले 5-10 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी क्योंकि इसका बाजार भाव घटकर सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ गया था लेकिन इसके विपरीत सीजन के आरंभ में ही इसका रकबा गत वर्ष से आगे चल रहा है।
मूंगफली की बिजाई आरंभिक चरण में पिछड़ने के बाद धीरे-धीरे संभल कर अब पिछले साल से 3.75 लाख हेक्टेयर आगे हो गई है।
सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- गुजरात में इस बार मूंगफली के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। इसकी बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है।