iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि दक्षिण- पश्चिम मानसून के वर्तमान सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से अधिक बारिश हुई है लेकिन कुछ भागों में जरूरत से ज्यादा एवं कुछ अन्य क्षेत्रों में आवश्यकता से कम वर्षा होने के कारण खासकर दलहन, धान एवं बागवानी फसलों को नुकसान होने की सूचना मिल रही है।
मौसम विभाग के अनुसार चालू मानसून सीजन में 19 अगस्त तक देश में दीर्घकालीन औसत से 7.3 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
लेकिन फिर भी जिन 725 जिलों से आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं उसमें से करीब 30 प्रतिशत जिलों में वर्षा सामान्य से कम या बहुत कम दर्ज की गई। इससे किसानों की चिंता काफी बढ़ गई है।
दूसरी ओर इनमें से 10 प्रतिशत जिलों में भारी अधिशेष (जरूरत से बहुत ज्यादा) वर्षा हुई जो खरीफ फसलों की सेहत के लिए अच्छी नहीं रही।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार कहीं कम और कहीं ज्यादा वर्षा होने से नवजात खरीफ फसलों को क्षति की आशंका बढ़ गई है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि दाल-दलहनों में महंगाई का ग्राफ पहले से ही काफी ऊंचा है और ऐसी हालत में दलहन फसलों को होने वाला नुकसान सरकार और किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए भी काफी दुखदायी सबित हो सकता है। पंजाब जैसे सिंचाई सुविधा युक्त राज्य में वर्षा की कमी से फसलों का लागत खर्च बढ़ जाएगा।
मौसम विभाग के अनुसार 28 प्रतिशत जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई है जबकि अन्य 2 प्रतिशत जिलों को बारिश की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरी ओर करीब 17 प्रतिशत जिलों में सामान्य औसत से ज्यादा या बहुत ज्यादा वर्षा होने की सूचना मिल रही है। वर्षा के आसमान वितरण से धान एवं दलहन के साथ-साथ सब्जियों, कॉफी एवं मसाला फसलों को भी क्षति हो रही है। पहले भीषण गर्मी पड़ी, फिर मूसलाधार बारिश हुई और कई क्षेत्रों में भू-स्खलन (लैंडस्लाइड) भी हुआ।
चिकमगलूर में अत्यधिक बारिश से कालीमिर्च एवं मक्का की फसल क्षतिग्रस्त हो गई। सामान्य औसत की तुलना में इस बार वर्षा की कमी जम्मू कश्मीर में 28 प्रतिशत, पंजाब में 35 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 21 प्रतिशत, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत, बिहार में 23 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र में 20 प्रतिशत दर्ज की गई।
दूसरी ओर महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सामान्य स्तर से अधिक बारिश हुई है।