iGrain India - इंदौर । मध्य प्रदेश की मिलों में प्रसंस्कृत दालों का भाव अपेक्षाकृत ऊंचा होने से स्थानीय स्तर पर इसकी मांग कमजोर पड़ गई है जिससे दाल मिलों को अपनी उत्पादन क्षमता का उपयोग घटाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
त्यौहारी सीजन की जबरदस्त मांग निकलने का समय आ गया है मगर मिलर्स को अपना उत्पाद बेचने में भारी कठिनाई हो रही है। आमतौर पर त्यौहारी सीजन एवं जाड़े के दिनों में दालों की मांग एवं खपत बढ़ जाती है।
मिलर्स के अनुसार स्थानीय स्तर पर दलहनों के प्रसंस्कृत से निर्मित दालों का लागत खर्च ऊंचा बैठता है और बाजार भाव भी ऊंचा हो जाता है जिससे न तो राज्य के अंदर इसकी ज्यादा मांग है और न ही राज्य से बाहर इसकी अच्छी मांग हो रही है।
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अनुसार गुजरात, राजस्थान एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने मध्य प्रदेश में दाल बाजार के बड़े भाग पर कब्जा कर लिया है क्योंकि वहां प्रसंस्कृत दाल का भाव अपेक्षाकृत नीचे रहता है।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए मंडी शुल्क की वजह से कीमतों में यह अंतर पैदा हुआ है। ऊंचे दाम एवं लागत खर्च में हुई बढ़ोत्तरी के कारण मध्य प्रदेश में मिलों द्वारा प्रसंस्कृत दाल की मांग में 40 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है और इस मांग को दूसरे राज्यों से मंगाई गई दालों से पूरा किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में प्रोसेसिंग उद्देश्य के लिए अन्य राज्यों से मंगाए जाने वाले साबुत दलहन पर 1.20 प्रतिशत का टैक्स लगा हुआ है जबकि एसोसिएशन प्रांतीय सरकार से लगातार इस टैक्स को घटाने या हटाने का आग्रह कर रहा है मगर इसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
मिलर्स को उम्मीद है कि त्यौहारी सीजन में मांग अच्छी रहेगी और दिसम्बर से मार्च के बीच प्रोसेसिंग की गति तेज रहेगी। उस समय तुवर के नए माल की जोरदार आवक होती है।