iGrain India - वैंकुवर । कनाडा में रेलवे कर्मियों के संगठन एवं सरकार के बीच पहले जो समझौता हुआ था उसके प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है।
संगठन ने सरकार को 21 अगस्त 2024 की रात 12 बजे तक इस समझौते को प्रभावी बनाने का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि यदि इसे लागू नहीं किया गया तो 22 अगस्त से अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।
कनाडा सरकार ने नियत समय सीमा के अंदर संधि की शर्तों को लागू करना तो दूर, इसके बारे में कोई आश्वासन देने का भी प्रयास नहीं किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि दो प्रमुख रेलवे जोन सीएन तथा सीपी में अब हड़ताल होने की आशंका बढ़ गई है।
यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है जब कनाडा में वसंतकालीन फसलों की कटाई-तैयारी का पीक सीजन शुरू होने वाला है।
इसके फलस्वरूप कनाडा से खासकर गेहूं, कैनोला और दलहनों (मसूर-मटर) का निर्यात बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।
कनाडा का कृषि क्षेत्र मुख्यत: निर्यात बाजार पर निर्भर रहता है और यदि शिपमेंट में कठिनाई या बाधा उत्पन्न हुई तो किसानों और निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है जबकि राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था पर भी इसका गंभीर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अगर आयातकों को सही समय पर डिलीवरी नहीं मिली तो वे अन्य देशों की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। इधर कनाडा में कृषि उत्पादों का विशाल स्टॉक जमा होने पर कीमतों में गिरावट आ सकती है जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
भारत में कनाडा से मुख्यत: मसूर तथा मटर का आयात होता है जिससे नए माल की आवक वहां पहले ही शुरू हो चुकी है।
निर्यातकों को उत्पादन केन्द्रों से बंदरगाहों तक माल पहुंचाने में कठिनाई होगी तो शिपमेंट में स्वाभाविक रूप से देर हो जाएगी। ऐसी हालत में भारत को रूस तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से मटर एवं मसूर का आयात बढ़ाना पड़ सकता है।
कनाडा में इस बार दलहनों का उत्पादन गत वर्ष से बेहतर होने के आसार हैं। नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी हो रही है।
अगस्त से मार्च तक कनाडा से कृषि उत्पादों का विशाल निर्यात होता है। यह देखना होगा कि रेलवे कर्मियों की हड़ताल कब तक जारी रहती है।