iGrain India - नई दिल्ली । ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की लांचिंग करके भारत को अब एथनॉल का उत्पादन तथा पेट्रोल में इसके मिश्रण का लक्ष्य बढ़ाने की आवश्यकता है और इसलिए उसे कुछ अतिरिक्त प्रयास करना होगा।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार यदि एथनॉल का खरीद मूल्य बढाकर लाभप्रद स्तर पर किया जाए तो इसके उत्पादन के प्रति डिस्टीलर्स का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ जाएगा।
गन्ना से निर्मित एथनॉल के दाम में बढ़ोत्तरी का मामला लम्बे समय से लंबित है और सरकार को एथनॉल उत्पादन के लिए गन्ना (चीनी) के उपयोग पर लगाए गए नियंत्रण को तत्काल समाप्त करना चाहिए।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक का कहना है कि अमरीका और ब्राजील जैसे देश में बड़े पैमाने पर एथनॉल का उत्पादन हो रहा है
इसलिए भारत को भी इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा एक्टिव होने की जरूरत है। यद्यपि भारत एथनॉल के उत्पादन में अमरीका और ब्राजील के बाद तीसरे नम्बर पर है लेकिन इसमें दुरी बहुत ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितम्बर में जी 20 सम्मेलन के अवसर पर भारत ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस (वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन) की शुरुआती की थी
और इसमें इटली, अमरीका, ब्राजील, अर्जेन्टीना, सिंगापुर, बांग्ला देश, मारीशस तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देश शामिल थे। इस अलायंस का उद्देश्य बायोफ्यूल के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देना है।
लेकिन 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में सरकार ने चीनी की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए एथनॉल निर्माण में इसके उपयोग को सीमित कर दिया।
2022-23 में करीब 40 लाख टन चीनी का उपयोग एथनॉल उत्पादन में हुआ था जो 2023-24 में महज 17 लाख टन तक पहुंच सका।