iGrain India - कोच्चि। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- मसाला बोर्ड द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि साबुत मसालों तथा मूल्य संवर्धित मसाला उत्पादों का निर्यात बढ़ाने और साथ ही साथ इलायची की उत्पादकता को सुधरने के लिए एक बड़ा प्लान तैयार किया जा रहा है।
इसके तहत समूचे देश में फसल की तुड़ाई-तैयारी एवं कटाई के बाद उसकी क्वालिटी के उन्नयन का गंभीर प्रयास भी शमिल है ताकि मसालों के निर्यात में कोई अड़चन पैदा न हो।
इस स्कीम का नाम- सस्टैनेबिलिटी इन स्पाइस सेक्टर थ्रू प्रोग्रेसिव, इनोवेटिव एंड कोलैबोरेटिव इंटरवेंसंस फॉर एक्सपोर्ट डवलपमेंट (स्पाइस्ड) रखा गया है इसके अंतर्गत अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं या तैयार किए गए हैं।
यह सम्पूर्ण स्कीम 15 वें वित्त आयोग के चक्र (काल) की अवधि के दौरान क्रियान्वित की जाएगी। यह अवधि वित्त वर्ष 2025 -26 तक जारी रहेगी और इस स्कीम के लिए कुल 422.30 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
मसाला बोर्ड के अनुसार 'स्पाइस्ड' स्कीम से मसालों के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा दिया जाएगा और मसाला क्षेत्र में नए सृजन तथा निरंतरता पर जोर देने में मदद मिलेगी।
इसके तहत कई उप मिशन तैयार किए जाएंगे जिसमें मसालों के मूल्य संवर्धन से लेकर उसकी साफ-सफाई, स्वास्थ्य सुरक्षा, गुणवत्ता, जी आई मसालों को प्रोत्साहन और मसाला निर्माताओं को सहयोग-समर्थन देना आदि शामिल हैं। इससे बेहतर मसालों का उत्पादन संभव हो सकेगा।
जहां तक इलायची की क्वालिटी में सुधार लाने, उसकी उपज दर बढ़ाने तथा अन्य मसालों की पोस्ट- हार्वेस्ट गुणवत्ता का स्तर ऊंचा उठाने का सवाल है तो इसके लिए भी मसाला बोर्ड ने के विशेष प्रोग्राम बनाया है।
इसके तहत उत्पादक समूहों को शसक्त बनाया जाएगा जिसमें फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ), फार्मर प्रोड्यूसर्स कम्पनीज (एफपीसी) तथा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) आदि भी शामिल हैं।
भारत दुनिया में मसालों का सबसे प्रमुख उत्पादक, खपतकर्ता एवं निर्यातक देश है। यह पोजीशन आगे भी बरकरार रहेगी।