iGrain India - मुम्बई । जुलाई 2024 में भारत से होने वाला निर्यात घटकर पिछले 8 माह के निचले स्तर पर अटक गया जिससे साफ संकेत मिलता है कि शिपमेंट के मोर्चे पर कुछ गंभीर समस्याएं और चुनौतियां मौजूद है जिसे यथाशीघ्र दूर किए जाने की जरूरत है।
स्वदेशी उद्योग एवं निर्यातकों को और अधिक सरकारी नीतिगत सहयोग-समर्थन की आवश्यकता है। दरअसल सरकार द्वारा निर्यात संवर्धन के लिए कुछ प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन वैश्विक बाजार में तेजी से बढ़ती चुनौतियों एवं प्रतिस्पर्धा को देखते हुए ये स्कीम पर्याप्त सहायक साबित नहीं हो रही है।
निर्यातकों के अनुसार रीमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टेक्सेस ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स (रोडटेप) स्कीम में आमूल चूक परिवर्तन करने यानी इसे नया स्वरूप देने का समय आ गया है ताकि इसे वैश्विक बाजार के बदलते परिदृश्य के अनुरूप नए सिरे से व्यवस्थित किया जा सके।
इस निर्यात संवर्धन स्कीम के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि इसने उन फायदों को घटा दिया है जो निर्यातकों को हासिल हुआ करता था। ऐसा लगता है कि यह स्किम 'मेक इन इंडिया' अभियान की प्रतिरोधी बनकर रह गई है। इससे निर्यात संवर्धन में कठिनाई हो रही है।
हालांकि स्वदेशी उद्योग के महारथी इस बात से खुश है कि रोडटेप स्कीम ने एमईआई उस स्कीम को विस्थापित कर दिया है जिसमें अनेक खामियां उत्पन्न हो गई थीं।
वे इस बात से भी राहत महसूस कर रहे हैं कि रोड टेप स्कीम से निर्यात को प्रोत्साहन मिलता रहा है लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और इसलिए इस स्कीम में ऐसे बदलाव करने का समय आ गया है जो सामयिक और व्यवहारिक हो। स्कीम के तहत प्रोत्साहन की दरों में बदलाव करने की जरूरत है और इसका कवरेज एरिया भी बढ़ाना आवश्यक है।
ध्यान देने की बात है कि अमरीकी डॉलर की तुलना में भारतीय रूपया काफी कमजोर है जिससे निर्यात संवर्धन में सहायता मिलने की उम्मीद की जा रही थी
मगर अन्य प्रमुख निर्यातक देशों ने भी अपनी अपनी-अपनी मुद्राओं का अवमूल्यन कर दिया है जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती बढ़ गई है। भारत में उत्पादों का लागत खर्च एवं सेवाओं का व्यय भार अनेक देशों से ज्यादा है।