iGrain India - मुम्बई । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने प्रमुख तिलहन फसलों -सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, तिल एवं नाइजरसीड आदि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश के 20 राज्यों में 347 जिलों के अंतर्गत करीब 600 क्लस्टर की पहचान कर ली है।
वहां तिलहन फसलों की उच्च उपज दर वाली किस्मों के बीजों का वितरण किया जाएगा और सीड हब का निर्माण और भंडारण सुविधा का विकास-विस्तार किया जाएगा।
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्तर पर तिलहन फसलों की औसत उपज दर करीब 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि सरकारी प्रयासों तथा कृषक समुदाय के परिश्रम से वर्ष 2030 तक उपज दर बढ़कर 21.10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयात तथा दूसरा सबसे प्रमुख उपभोक्ता देश है। यहां विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता बढ़कर 58 प्रतिशत पर पहुंच गई है जिससे सरकार काफी चिंतित है।
हालांकि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सोयाबीन, सरसों एवं मूंगफली में से प्रत्येक का सालाना उत्पादन 100 लाख टन से अधिक होता है मगर इसके लिए विशाल क्षेत्रफल की आवश्यकता पड़ती है।
इसके मुकाबले अमरीका, ब्राजील, अर्जेन्टीना, कनाडा एवं चीन जैसे देशों में कम क्षेत्रफल इससे बेहतर उत्पादन हो जाता है क्योंकि वहां तिलहन फसलों की उपज दर काफी ऊंची रहती है।
भारत में सूरजमुखी एवं तिल सहित अन्य तिलहनों का सीमित उत्पादन होता है। उपज दर में अच्छी बढ़ोत्तरी के सहारे कुल उत्पादन को बढ़ाना संभव हो सकता है जिससे विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में सहायता मिलेगी।