iGrain India - नई दिल्ली । स्वदेशी चीनी उद्योग को आशंका है कि सरकार ने नए नियमों का जो प्रस्ताव रखा है उससे पुराने नियंत्रणों की वापसी हो सकती है।
इस मुद्दे पर गम्भीरतापूर्वक विचार-विमर्श करने तथा एक समान रिस्पांस देने के लिए सितम्बर की डेड लाइन से पूर्व सभी संघों-संगठनों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होने वाली है।
चीनी उद्योग के एक वर्ग को अंदेशा है कि चीनी के उत्पादन, भंडारण एवं मूल्य से संबंधित लगभग छह दशक पुराने नियमों-विनियमों में संशोधन का जो प्रारूप तैयार किया गया है उसके माध्यम से कुछ नियंत्रणों-प्रतिबंधों को दोबारा लागू किया जा सकता है जिससे उद्योग के लिए समस्या पैदा हो सकती है।
उद्योग की मांग पर सरकार ने क्रमिक रूप से इन नियंत्रणों को हटाना शुरू किया था। उद्योग समीक्षकों का मानना है कि ये नए नियम रंगराजन समिति की सिफारिशों के खिलाफ है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में चीनी क्षेत्र को वर्षों पुराने कुछ प्रतिगामी नियमों-नियंत्रणों से मुक्त करने का सुझाव दिया था।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में 'दि शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर 2024' नामक एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें कहा गया है कि उत्पादन की प्रक्रिया में तकनीकी उन्नयन को आवश्यक बढ़ाया गया है और यह ड्राफ्ट प्रपोजल मौजूदा समय में प्रचलित शुगर (कंट्रोल) ऑर्डर, 1966 को निरस्त करेगा।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने सभी समान संघों-संगठनों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर विचार-विमर्श के लिए एक अधिवेशन आयोजित करने का प्लान बनाया है।
सरकार का यह ड्राफ्ट संदिग्ध है और इसलिए सभी संगठन एक मत से इस पर अपना विचार प्रस्तुत करेंगे। सरकार ने 23 सितम्बर 2024 तक इस ड्राफ्ट पर सम्बन्धित पक्षों की राय आमंत्रित की है।
समझा जाता है कि इस प्रस्तावित ड्राफ्ट में कई विवादास्पद बिंदु है जिसे चीनी उद्योग स्वीकार नहीं करना चाहेगा।