नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। गत साल अक्टूबर से ही महंगाई में पेट्रोल और डीजल का योगदान घटता जा रहा है लेकिन साथ ही एक और बात सामने आयी है कि खुदरा महंगाई दर में किरासन तेल और जलावन की लकड़ी की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है।भारतीय स्टेट बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब किरासन तेल और जलावन की लकड़ी का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं।
एसबीआई (NS:SBI) के मुख्य आर्थिक सलाहकर सौम्य कांति घोष ने कहा कि ऐसा लगता है कि ओमीक्रॉन की नयी लहर के आने से पहले से ही ईंधन की खपत घट गयी और लोगों का रूझान किरासन तेल और लकड़ी जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर चला गया है।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह चलन और जोर पकड़ सकता है। यह ग्रामीण मांग के लिये अच्छा नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई पर प्रभाव डाला है। मार्च 22 के महंगाई के आंकड़े बताते हैं कि गेंहू, प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खासकर चिकन, दूध, रिफाइंड तेल, आलू, मिर्ची, किरासन तेल, जलावन की लकड़ी, सोना और एलपीजी मंहगाई दर को प्रभावित कर रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पशुओं का चारा महंगा हो गया है क्योंकि इसे यूक्रेन से आयात किया जाता था। यूक्रेन के सूरजमुखी तेल की आपूर्ति पर पड़े दबाव के कारण इंडोनेशिया ने अपनी निर्यात नीति में बदलाव कर दिया, जिससे वहां से पॉम आयल के आयात में कटौती हो गयी। युद्ध के कारण दक्षिण अमेरिका में अनाज की कमी की आशंका के कारण सोयाबीन तेल की आपूर्ति प्रभावित हो गयी है। इसी तरह दूध के दाम भी काफी बढ़ गये हैं।
मार्च 22 में खुदरा मूल्य सूचकांक वार्षिक आधार पर 6.95 प्रतिशत बढ़ गया जबकि फरवरी में यह 6.07 प्रतिशत बढ़ा था। इसकी मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी रही।
एसबीआई ने खुदरा महंगाई के सात प्रतिशत से अधिक रहने की आशंका जतायी है। सितंबर के बाद यह साढ़े छह से सात प्रतिशत के बीच रह सकती है।
एसबीआई ने इस वित्त वर्ष के महंगाई दर के 6.5 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान जताया है।
--आईएएनएस
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