iGrain India - पणजी । गोवा में विभिन्न कारणों से काजू की पैदावार में भारी गिरावट आने से प्रोसेसिंग उद्योग की गतिविधि प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार एक तो बढ़ते शहरी करण से क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है और दूसरे, युवा पीढ़ी इसकी खेती में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
इसके अलावा पिछले साल अल नीनो मौसम चक्र का प्रकोप भी रहा। गोवा में काजू का उत्पादन घटने से फेनी (काजू एप्पल से निर्मित शराब) निर्माताओं को अन्य राज्यों से कच्चा माल मंगाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि गोवा में अच्छी क्वालिटी के काजू का उत्पादन होता है जिसका स्वाद एवं आकार बेहतर रहता है। कच्चे काजू के उत्पादन में कमी आने से अनेक प्रोसेसिंग इकाइयां या तो बंद हो गई या बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। राज्य में पिछले कुछ वर्षों के अंदर क्रियाशील काजू प्रोसेसिंग इकाइयों की संख्या 45 से घटकर 17 पर आ गई।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार युवा वर्ग काजू की खेती पर ध्यान देने के बजाए नौकरी की तलाश में रहते हैं। इस बार जब फसल में फूल लगने की प्रक्रिया शुरू हुई तब उसे बेमौसमी वर्षा ने क्षतिग्रस्त कर दिया।
हालांकि सरकारी एजेंसी ने राज्य में काजू का औसत वार्षिक उत्पादन 28 हजार टन के करीब होने का अनुमान गया है मगर वास्तविक उत्पादन इससे करीब 50 प्रतिशत कम होता है।
काजू के अधिकांश पेड़ पुराने हो गए है जिसमें कम फलियां लगती है। नए बागान लगाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा काजू उत्पादन का लागत खर्च भी काफी बढ़ गया है।
एपीडा ने काजू प्रोसेसिंग उद्योग को मशीनरी की खरीद पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी देने का प्लान बनाया है। गोवा में अब पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से काजू मंगाया जाता है।