iGrain India - नई दिल्ली । हल्दी की गिरती कीमतें रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। भाव दिन-प्रतिदिन घट रहे हैं। हल्दी का व्यापार करने वाले सभी व्यापारी इस मंदे से परेशान है। हल्दी में अल्पकाल के दौरान इतनी जबरदस्त गिरावट आएगी यह तो किसी ने सोचा भी नहीं था। वर्तमान में हल्दी का बाजार पूर्णतय वायदा बाजार पर निर्भर है वायदा में भाव मंदे तो हाजिर बाजार भी मंदा। अगर वायदा में भाव तेज तो हाजिर में भी भाव तेज। वायदा बाजार ने हाजिर बाजार को बुरी तरह से प्रभावित किया है। गिरते भावों के बावजूद भी हाजिर बाजारों में हल्दी का लिवाल नहीं है।
बाजार मंदा
चालू माह के दौरान हल्दी की हाजिर कीमतों में 20/25 रुपए का मन्दा आ चुका है। मंदी का प्रमुख कारण घटती निर्यात एवं उत्पादक केन्द्रों पर अधिक बिजाई को माना जा रहा है। अधिक बिजाई के पश्चात उत्पादक केन्द्रों पर मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। जिस कारण से आने वाली फसल गत वर्ष की तुलना में अधिक आने की संभावना है बशर्ते आगामी दिनों में भी मौसम फसल के अनुकूल रहे। वायदा बाजार में भी आज मंदी का सर्किट लगा है।
निर्यात कम
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के प्रथम तीन माह में हल्दी के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल-जून -2024 के दौरान हल्दी का निर्यात 46498 टन का हुआ है। जबकि अप्रैल-जून 2023 में निर्यात 57775 टन का हुआ था।
रुकना चाहिए मंदा
आई ग्रेन इंडिया का मानना है कि अब हल्दी के गिरते भाव रुकने चाहिए क्योंकि भाव काफी घट चुके है। वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर स्टॉक भी कम है। जबकि नई फसल जनवरी-फरवरी-2025 में आएगी। अतः नई फसल आने से पूर्व एक बार हल्दी की कीमतों में तेजी आने के अनुमान लगाए जा रहे है।