iGrain India - इंदौर । महाराष्ट्र में विधान सभा चुनाव के लिए अभी आधिकारिक या औपचारिक घोषणा नहीं हुई है मगर पड़ोसी राज्य- मध्य प्रदेश में सोयाबीन का थोक मंडी भाव रसातल की ओर जाने लगा है।
इससे किसानों की निराशा और बेचैनी बढ़ती जा रही है। मंदसौर जिले के एक गांव में तो एक किसान ने अपनी सोयाबीन की लगभग पूर्व विकसित फसल के खेत में ट्रैक्टर चलाकर उसे बर्बाद कर दिया क्योंकि बाजार भाव अत्यन्त निचले स्तर पर आ जाने से उसे लग रहा था
कि फसल की बिक्री से लाभ प्राप्त होना तो दूर, लागत खर्च निकलना भी मुश्किल है। वह किसान अन्य किसानों को भी अपनी फसल बर्बाद करने की सलाह दे रहा है।
मध्य प्रदेश एवं पड़ोसी राज्यों में सोयाबीन का थोक मंडी भाव घटकर 3500-4000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है जो पिछले 10-11 वर्षों का सबसे निचला का स्तर माना जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने 2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6.30 प्रतिशत बढ़ाकर 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। समर्थन मूल्य की तुलना में सोयाबीन का मंडी भाव काफी नीचे चल रहा है।
सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 123.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 125.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार बेहतर उत्पादन की उम्मीद के साथ-साथ विदेशों से सस्ते सोया तेल का विशाल आयात होना भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का एक मुख्य कारण है।
सोयाबीन की नई फसल की कटाई-तैयारी आमतौर पर मध्य सितम्बर के बाद शुरू हो जाती है और अक्टूबर-नवम्बर में पीक पर पहुंच जाती है। सरकार मार्च 2025 तक खाद्य तेलों के आयात पर शून्य शुल्क लगाने का निर्णय पहले ही घोषित कर चुकी है।
समीक्षकों का कहना है कि मध्य प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सोयाबीन का महत्वपूर्ण योगदान रहता है और यदि किसानों को उसके उत्पाद का लाभप्रद मूल्य प्राप्त नहीं हुआ तो इस प्रमुख तिलहन की खेती के प्रति उसका आकर्षण घट जाएगा।