iGrain India - नागपुर । देश के पश्चिमी राज्य- महाराष्ट्र के चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 51.17 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है जो गत वर्ष के बिजाई क्षेत्र 50.85 लाख हेक्टेयर से 32 हजार हेक्टेयर तथा पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 41.50 लाख हेक्टेयर से 9.67 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
हालांकि कुछ क्षेत्रों में मानसून की भारी वर्षा होने तथा कहीं-कहीं बाढ़ आने से सोयाबीन की फसल को थोड़ी क्षति पहुंची मगर आमतौर पर फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है।
महाराष्ट्र में सोयाबीन की सबसे ज्यादा खेती विदर्भ तथा मराठवाड़ा संभाग में होती है और इसका अधिकांश उत्पादन क्षेत्र वर्षा पर आश्रित रहता है।
इन दोनों संभागों में सोयाबीन तथा कपास को किसानों का लाइफ लाइन (जीवन रेखा) माना जाता है। इसके फलस्वरूप बाजार भाव में थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव आने पर भी इस क्षेत्र के सम्पूर्ण आर्थिक चक्र में बदलाव पैदा हो सकता है।
आमतौर पर इस संभाग को सूखा प्रभावित या कम वर्षा वाला क्षेत्र माना जाता है जबकि हाल के वर्षों में वहां गैर मौसमी बारिश होने से सोयाबीन की फसल प्रभावित होती रही है।
लेकिन चालू वर्ष के दौरान वहां आरंभ से ही दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा होती रही है। विदर्भ संभाग में बारिश का दौर अब भी जारी है जिससे सोयाबीन की अगैती बिजाई वाली फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। अन्य भागों में उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।
उत्पादन बढ़ने की संभावना एवं नई फसल की जल्दी ही जोरदार आवक शुरू होने की उम्मीद से महाराष्ट्र में सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बढ़ने लगा है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। राज्य में एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद करने का निर्णय लिया गया है।