iGrain India - नई दिल्ली । पश्चिम एशिया में इजरायल का अपने पड़ोसी देशों -ईरान, लेबनान, यमन, फिलीपींस और सीरिया के साथ भयंकर युद्ध जारी है और ऐसा प्रतीत होता है कि अमरीका भी इस लड़ाई में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हो सकता है।
इससे वहां भारी तनाव एवं अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है जिससे भारतीय निर्यातकों की चिंता एवं बेचैनी बढ़ने लगी है। निर्यातकों को आशंका है कि यदि यह लड़ाई ज्यादा दिनों तक जारी रही तो न केवल शिपमेंट खर्च बढ़ जाएगा बल्कि निर्यात भी प्रभावित होगा।
क्रूड खनिज तेल का दाम बढ़ने की संभावना भी बरकरार है। ईरान भारतीय बासमती चावल, सोयाबीन तथा चाप आदि का महत्वपूर्ण खरीदार देश है। उधर पूर्वी भाग एवं अमरीकी की खाड़ी तट के बंदरगाहों में श्रमिकों की हड़ताल से मामला और भी जटिल हो गया है।
अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार और सबसे प्रमुख निर्यात बाजार माना जाता है। वहां निर्यात बाधित होना भारत के लिए आघात साबित होगा।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फिओ) के महानिदेशक का कहना है कि यद्यपि इस कड़ाई एवं अनिश्चित स्थिति का तात्कालिक प्रभाव ज्यादा नहीं होगा लेकिन यदि रूस-यूक्रेन की तर्ज पर यह युद्ध लम्बा चला तो एशिया, यूरोप तथा अमरीकी महाद्वीप के अनेक देशों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।
कुछ जानकारों का कहना है कि आवश्यकता पड़ने पर अमरीका इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करके ईरान पर हवाई हमला कर सकता है लेकिन उसे रूस तथा चीन के सख्त प्रतिरोध का डर भी सता रहा है जो परोक्ष रूप से ईरान का समर्थन कर रहा है।
फिलहाल अमरीका ने ईरान पर और अधिक आर्थिक प्रतिबंन्ध लगाए का संकेत दिया है लेकिन ईरान पर इसका ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ने में संदेह है। अमरीका इससे पहले उत्तरी कोरिया और रूस पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगा चुका है लेकिन उसका कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आया।
पश्चिम एशिया और खाड़ी क्षेत्र के देशों में शांति तथा स्थिरता बरकरार रहना भारत के हिट में होगा क्योंकि इन देशों से भारत में पेट्रोलियम का भारी आयात होता है जबकि भारत से अनेक कृषि उत्पादों का वहां बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है।
इसमें मसाले भी शामिल हैं। निर्यातकों को खाड़ी क्षेत्र के रास्ते आगे अन्य देशों तक पहुंचने में भारी कठिनाई हो सकती है।