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इजरायल-ईरान विवाद के कारण बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की संभावना

प्रकाशित 12/10/2024, 06:33 pm
इजरायल-ईरान विवाद के कारण बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की संभावना
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iGrain India - नई दिल्ली । इजरायल तथा ईरान के बीच उत्पन्न तनाव एवं विवाद के कारण भारत से बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की उम्मीद है। इससे जहां निर्यातकों की चिंता एवं बेचैनी बढ़ गई है वहीं बासमती धान के उत्पादकों को भी भारी घाटा हो रहा है क्योंकि इसका थोक मंडी भाव गिरकर पिछले साल से काफी नीचे आ गया है।

भारत बासमती चावल का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। वैश्विक निर्यात बाजार में इसकी भागीदारी 80 प्रतिशत तथा पाकिस्तान की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत रहती है। भारत से लगभग 40 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात पंजाब से होता है। 

ईरान भारतीय बासमती चावल का अग्रणी खरीदार रहा है। एक समय तो भारत से 25 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात अकेले ईरान को किया जाता था।

लेकिन वहां घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए चावल के आयात पर दो-तीन माह का प्रतिबंन्ध लगाए जाने से स्थिति कुछ हद तक अनिश्चित हो गई है। प्रतिबंध हटने के बावजूद भी वहां चावल का आयात करने में संदेह है। 

बीमा कंपनियों ने ईरान को निर्यात के लिए इंश्योरेंस देना बंद कर दिया है जिससे घरेलू प्रभाग में बासमती धान की कीमतों में 700-800 रुपए प्रति क्विंटल तक की भारी गिरावट आ गई है क्योंकि निर्यातक एवं राइस मिलर्स विभिन्न थोक मंडियों में इसकी खरीद करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे किसानों की चिंता स्वाभाविक रूप से बढ़ती जा रही है। 

पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान बासमती के उत्पादन में 15 प्रतिशत का इजाफा होने की उम्मीद है जिससे मंडियों में इसकी आवक बढ़ेगी। खरीदारों के अभाव में किसानों के लिए संकट बढ़ सकता है।

ऐसा लगता है कि पंजाब के किसानों एवं निर्यातकों को इस बार संकट की दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात तेजी से बढ़कर 52.42 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जिससे 48,389 करोड़ रुपए या 5.837 अरब डॉलर की शानदार आमदनी प्राप्त हुई थी। चालू वित्त वर्ष के दौरान बासमती धान के दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है जबकि सरकार ने बासमती चावल के लिए नियत 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को भी वापस ले लिया है। 

गत वर्ष पूसा 1509 बासमती धान का भाव 3500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो इस बार घटकर 2700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है। इससे उत्पादकों को घाटा हो रहा है। ईरान के अलावा अन्य देशों में बासमती चावल का निर्यात जारी है।

सऊदी अरब मोटे तौर पर भारत से करीब 10 लाख टन बासमती चावल मंगाता है लेकिन उसका एक महत्वपूर्ण बंदरगाह-जेद्दा यमन की सीमा के पास स्थित है और वहां जहाजों को हूती विद्रोहियों से खतरा बना रहता है। 

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