iGrain India - ब्रिसबेन । ऑस्ट्रेलिया के दो महत्वपूर्ण मसूर उत्पादक राज्यों- साउथ ऑस्ट्रेलिया एवं विक्टोरिया में मौसम की हालत प्रतिकूल होने से फसल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है और इसके उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका है।
एक अग्रणी उद्योग-व्यापार संगठन-पिरसा ने चालू सीजन के दौरान इन दोनों राज्यों में मसूर का उत्पादन घटकर महज 4.28 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना व्यक्त की है जो सरकारी एजेंसी- अबारेस द्वारा लगाए गए अनुमान 8.60 लाख टन का आधा है। आमतौर पर सरकारी एजेंसी के मुकाबले पिरसा का उत्पादन अनुमान छोटा रहता है।
अधिकांश विश्लेषक और विशेषज्ञ पिरसा के उत्पादन अनुमान को ही सही मानते है जबकि कुछ समीक्षकों का अनुमानित आंकड़ा दोनों के बीच में रहता है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रान्त के प्रमुख उत्पादक इलाकों में लम्बे समय से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण खेतों की मिटटी सख्त हो गई है और उसमें नमी का भारी अभाव होने से फसल का विकास रुक गया है। इससे उपज दर में कमी आने तथा मसूर के दाने की क्वालिटी प्रभावित होने के संकेत मिल रहे हैं।
भारत ऑस्ट्रेलियाई मसूर का प्रमुख खरीदार है। ऑस्ट्रेलिया में मुख्यत: लाल मसूर का उत्पादन होता है। भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक विवाद को देखते हुए अनेक भारतीय आयातक ऑस्ट्रेलिया की तरफ मुड़ने लगे थे लेकिन यदि वहां उत्पादन में जोरदार गिरावट आती है तो भारत के लिए भी चुनौती बढ़ सकती है। मसूर का वैश्विक बाजार मूल्य भी ऊंचा और तेज रह सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रान्त और खासकर विम्मेरा क्षेत्र में भी मौसम लम्बे समय से शुष्क बना हुआ है जो मसूर का एक प्रमुख उत्पादक इलाका माना जाता है।
इसे देखते हुए एक अग्रणी संस्था ने इस बार ऑस्ट्रेलिया में कुल मिलाकर 11.70 लाख टन मसूर के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है जो अबारेस द्वारा लगाए गए अनुमान 16.90 लाख टन से 5.20 लाख टन कम है।
इससे पूर्व ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2023 में 16.90 लाख टन एवं 2022 में 15.70 लाख टन मसूर का उत्पादन आंका गया था। ऑस्ट्रेलिया में मसूर के उत्पादन में आने वाली जोरदार गिरावट से कनाडा को सर्वाधिक फायदा होगा।