iGrain India - नए माल की आवक बढ़ने एवं उठाव कमजोर होने से धान का भाव नरम नई दिल्ली । खरीफ कालीन धान की नई फसल की कटाई-तैयारी जोर पकड़ने से मंडियों में इसकी आवक बढ़ने लगी है मगर मिलर्स एवं निर्यातकों की मांग कमजोर रहने से खासकर बासमती धान के दाम में नरमी का माहौल बना हुआ है। दिल्ली 24 से 30 अक्टूबर वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली की नरेला एवं नजफगढ़ मंडी में क्रमश: 50-60 हजार बोरी तथा 10-20 हजार बोरी धान की औसत दैनिक आवक हुई और इसकी कीमतों में 50-100 रुपए प्रति क्विंटल का उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। नजफगढ़ मंडी में 1718 धान का भाव 1000 रुपए लुढ़ककर 2750 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। इसी तरह छत्तीसगढ़ की राजिम मंडी में महामाया धान का दाम 500 रुपए गिरकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल तथा पंजाब की तरन तारन मंडी में 1847 धान का मूल्य 668 रुपए घटकर 2550/2761 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया था।पंजाब / अमृतसर अमृतसर में धान की कीमत 150-160 रुपए नीचे आई। कुछ मंडियों में धान का भाव 100-200 रुपए तेज भी हुआ मगर आमतौर पर धारणा नरमी की ही बनी हुई है। हरियाणा की तरावड़ी मंडी में 1718 धान का दाम 300 रुपए गिरकर 3700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। टोहाना मंडी में भी 125 रुपए की गिरावट रही। इन मंडियों में औसतन 50-55 हजार बोरी धान की दैनिक आपूर्ति हो रही है। टोहाना में तो एक दिन एक लाख बोरी धान पहुंचा। उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश की खैर मंडी में भी 50-60 हजार बोरी धान रोजाना पहुंच रहा है जबकि डिबई में 30 हजार बोरी की आवक हो रही है और गोहाना में 25 हजार बोरी की आपूर्ति दर्ज की गई। मध्य प्रदेश के डबरा एवं राजस्थान के बूंदी-कोटा में भी आवक बढ़ रही है।चावल हालांकि केन्द्र सरकार ने साबुत श्रेणी के बासमती एवं सामान्य चावल के निर्यात को सभी प्रतिबंधों एवं शुल्कों से मुक्त कर दिया है जिससे देश से इसके निर्यात की गति तेज होने के संकेत मिल रहे हैं मगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भाव नीचे आ गया है जिससे निर्यातकों को ऊंचे धाम पर धान-चावल खरीदने और चावल का शिपमेंट करने में कठिनाई हो रही है। जब तक घरेलू मंडियों में आपूर्ति जोरदार होती रहेगी तब तक चावल के निर्यातकों को कम मूल्य पर माल उपलब्ध हो सकता है। वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की मांग बढ़ती जा रही है।