iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ कालीन फसलों की कटाई-तैयारी और मंडियों में आवक पहले ही शुरू हो चुकी है। विभिन्न कृषि उपज मंडियों में हो रही आपूर्ति एवं प्रचलित कीमतों से संकेत मिलता है कि कम से कम चार फसलों- सोयाबीन, मूंगफली, ग्वार एवं नाइजर सीड का उत्पादन गत वर्ष से बेहतर हुआ है जबकि दूसरी ओर तुवर, उड़द, मूंग, सूरजमुखी एवं तिल के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
इसके अलावा चावल, मक्का, बाजरा तथा रागी का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने की उम्मीद है। पिछले महीने इन खरीफ फसलों की कीमतों में आए उतार-चढ़ाव के आधार पर उत्पादन की स्थिति आंकी गई है।
केन्द्र सरकार आमतौर पर सितम्बर में खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान जारी करती हैं मगर इस बार इसमें देर हो रही है।
वर्ष 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 1132.60 लाख टन चावल, 222.50 लाख टन मक्का, 96.60 लाख टन बाजरा, 15.10 लाख टन ज्वार, 16.70 लाख टन रागी, 34.20 लाख टन तुवर (अरहर), 16 लाख टन उड़द, 11.50 लाख टन मूंग, 86.60 लाख टन मूंगफली, 130.60 लाख टन सोयाबीन, 60 हजार टन सूरजमुखी, 4 लाख टन तिल तथा 30 हजार टन नाइजरसीड का उत्पादन आंका था।
2023-24 के सीजन में 325.20 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था जबकि 2024-25 के सीजन में इसके बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आई है और इसका उत्पादन घटने की संभावना है।
इसके बावजूद अक्टूबर में इसका थोक मंडी भाव नरम रहा। अक्टूबर के आरंभ में मीडियम रेशेवाली रूई का औसत मंडी मूल्य 7154 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था
जो नवम्बर की शुरूआत में गिरावट 6993 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। कपास का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 127 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 115 लाख हेक्टेयर के करीब रह गया।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 20 सितम्बर को कहा था कि खरीफ फसलों का पहला अग्रिम उत्पादन अनुमान अक्टूबर में जारी किया जाएगा।
इसके लिए तमाम संघो-संगठनों एवं संस्थाओं- संस्थानों के साथ गहन विचार-विमर्श भी किया गया था लेकिन फिर भी अब तक उत्पादन अनुमान की घोषणा नहीं हो पाई है।