iGrain India - जयपुर । सरसों तथा जौ के सबसे बड़े तथा चना एवं गेहूं के एक प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान रबी फसलों की बिजाई धीमी गति से हो रही है।
एक तो वहां खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी जोर नहीं पकड़ पाई है और दूसरे, कुछ मिलों में बारिश कम होने से मिटटी में नमी का अभाव देखा जा रहा है। वहां बांधों-जलाशयों में पानी का स्टॉक भी कम बनाया जा रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल सरसों का उत्पादन क्षेत्र इस वर्ष 31 अक्टूबर तक 18.75 लाख हेक्टेयर पर पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 22 लाख हेक्टेयर से 3.25 लाख हेक्टेयर कम तथा पूरे सीजन के लिए नियत बिजाई लक्ष्य 40.50 लाख हेक्टेयर का 46 प्रतिशत है। पिछले साल राज्य में 40.01 लाख हेक्टेयर में सरसों की बिजाई का लक्ष्य रखा गया था।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान देश में सरसों का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है जबकि इसके अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बंगाल और गुजरात शामिल है। इसके अलावा बिहार, झारखंड, आसाम, पंजाब एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी सरसों का उत्पादन होता है।
राजस्थान में चालू रबी सीजन के लिए दलहनों की बिजाई का लक्ष्य 22.87 लाख हेक्टेयर नियत किया गया है जिसमें अकेले चना के क्षेत्रफल का लक्ष्य 22.50 लाख हेक्टेयर शामिल है।
इसमें से 31 अक्टूबर 2024 तक 7.25 लाख हेक्टेयर में चना तथा 4 हजार हेक्टेयर में अन्य दलहनों की बिजाई हो चुकी थी। इस तरह कुल नियत लक्ष्य की तुलना में करीब एक-तिहाई क्षेत्रफल में चना (दलहन) की बिजाई पूरी हो गई थी।
लेकिन गेहूं एवं जौ का रकबा नियत लक्ष्य से बहुत पीछे चल रहा है और इसकी बिजाई की गति भी काफी धीमी है। इसकी संयुक्त बिजाई का लक्ष्य 35.81 लाख हेक्टेयर निर्धारित हुआ है
जबकि वास्तविक बिजाई महज 56 हजार हेक्टेयर या 1.6 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही संभव हो सका। गेहूं की बिजाई का लक्ष्य 32 लाख हेक्टेयर है वास्तविक वास्तविक रकबा 46 हजार हेक्टेयर के करीब ही पहुंच सका है। पिछले साल कुल मिलाकर राज्य में 31.06 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हुई थी।