iGrain India - नई दिल्ली । उद्योग-व्यापार क्षेत्र के अग्रणी संगठनों द्वारा तिलहन-तेल में वायदा कारोबार पर लगी रोक को यथाशीघ्र हटाए जाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है ताकि तिलहनों का भाव ऊंचा उठाने एवं किसानों को बेहतर वापसी सुनिश्चित करने में सहायता मिल सके।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष के अनुसार दिसम्बर 2021 से ही सरसों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पहले इस प्रतिबंध की अवधि को एक-एक साल करके दो बार बढ़ाया गया और जब 20 दिसम्बर 2024 को इसकी समय सीमा समाप्त हो रही थी तब उसे एक बार फिर 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया गया।
सोयाबीन एवं सरसों के दाम में जारी नरमी को देखते हुए इसमें वायदा कारोबार पर लगी रोक को हटाए जाने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
एसोसिएशन का कहना है कि दिसम्बर 2021 में जब वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाई गई थी तब सोयाबीन एवं सरसों तथा इसके उत्पादों का बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा था लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
सोयाबीन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 600-700 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आ गया है जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
विशाल उत्पादन को देखते हुए सरकार ने 33 लाख टन सोयाबीन खरीदने का लक्ष्य रखा है मगर अभी तक 6.50 लाख टन की ही खरीद संभव हो सकी है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय की उप सचिव के साथ भी एक मीटिंग में एसोसिएशन के अध्य्क्ष ने यह मामला उठाते हुए तिलहन-तेल में वायदा कारोबार दोबारा आरंभ करने की जरूरत पर जोर दिया था।
मीटिंग में उप सचिव ने एसोसिएशन के तर्कों को ध्यान से सुनने के बाद मामला देखने का आश्वासन दिया था। इस बार वायदा कारोबार पर रोक की अवधि सीमित दिनों के लिए बढ़ाई गई है जिससे संकेत मिलता है कि सरकार इस पाबंदी को समाप्त करने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है।