iGrain India - नई दिल्ली । प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण थोक मंडियों में आवक सीमित होने तथा मांग मजबूत रहने से गेहूं का भाव तेजी से उछलकर शीर्ष स्तर पर पहुंचने लगा है जिससे फ्लोर मिलर्स एवं प्रोसेसर्स को उचित मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में इस खाद्यान्न का स्टॉक हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
उद्योग समीक्षकों के मुताबिक मिलर्स / प्रोसेसर्स को अपनी मिलों को पूरी क्षमता के साथ चालू रखने में भारी कठिनाई हो रही है।
फ्लोर मिलर्स का कहना है कि मंडियों में गेहूं की सीमित आपूर्ति हो रही है और अत्यन्त ऊंचा मूल्य चुकाने के बावजूद मिलर्स को पर्याप्त मात्रा में इसका स्टॉक प्राप्त नहीं हो रहा है।
अनेक इकाइयों में गेहूं की मिलिंग इसकी पूरी क्षमता से कम हो रही है। हालांकि नवम्बर 2024 में केन्द्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक सीमा को और भी घटा दिया था जिससे मंडियों में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ने तथा कीमतों में नरमी आने की उम्मीद की जा रही थी मगर इस फैसले का कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया।
इसी तरह दिसम्बर 2024 से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भारतीय खाद्य निगम ने अपने स्टॉक से गेहूं योजना शुरू किया लेकिन इसकी साप्ताहिक मात्रा पूरे देश के मिलर्स / प्रोसेसर्स के लिए केवल एक लाख टन नियत की गई जबकि मिलिंग क्षमता इससे काफी अधिक है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं का भाव उछलकर 33,000 रुपए (384.66 डॉलर) प्रति टन के आसपास पहुंच गया है जो अप्रैल 2024 में 24,500 रुपए प्रति टन था। 2023-24 सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 22,750 रुपए प्रति टन नियत हुआ था।
उद्योग विश्लेषकों के अनुसार स्टॉक सीमा लगाने के बावजूद न तो गेहूं की आपूर्ति में सुधार हुआ और न ही कीमतों में नरमी आई।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि उत्पादकों एवं व्यापारियों के पास सीमित मात्रा में गेहूं का स्टॉक मौजूद है। सरकार को अपने स्टॉक से अधिक मात्रा में गेहूं की बिक्री करने की आवश्यकता है।
सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की मंडियों में भी गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत ऊंचा चल रहा है।