iGrain India - त्रिची । तमिलनाडु में तिरुवरुर जिले के किसानों ने इस बात पर नाराजगी तथा असंतोष जताया है कि रूई का भाव काफी घट जाने से उन्हें मंडियों में अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त करना भी कठिन हो गया है।
पिछले महीने हुई बेमौसम बारिश से रूई के स्टॉक को काफी नुकसान हो गया था जिससे किसान पहले से ही चिंतित थे जबकि बाद में बाजार भाव नीचे लुढ़कने से उसकी कठिनाई और भी बढ़ गई।
तमिलनाडु व्यवसायी गण संघम के अनुसार चूंकि कपास की उपज दर ऊंची रहती है और बाजार में इसका दाम भी आकर्षक स्तर पर चल रहा था इसलिए पिछले कुछ वर्षों के दौरान तिरुवरुर जिले में कपास की खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी बढ़ गई।
कपास उत्पादकों को वर्ष 2021 एवं 2022 में अपनी रूई के लिए 100 से 120 रुपए प्रति किलो के बीच आकर्षक दाम प्राप्त हुआ था इसलिए वहां अनेक गैर परम्परागत किसानों ने भी इसकी खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखाई जिसमें किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान भी शामिल थे।
लेकिन मई के अंतिम सप्ताह के दौरान इस जिले में बेमौसमी वर्षा हुई जिससे खेतों में पानी भर गया और कपास की फसल को काफी क्षति हुई। इसकी औसत उपज दर तथा क्वालिटी में गिरावट आ गई।
जो फसल बच गई उसके लिए व्यापारी केवल 50-60 रुपए प्रति किलो की दर से मूल्य का ऑफर दे रहे हैं। पिछले सप्ताह वहां रूई का भाव औसतन 6320 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 7020 रुपए प्रति क्विंटल से 700 रुपए कम था।
पिछले साल कपास का समर्थन मूल्य 6620 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ था जबकि बाजार भाव उछलकर 9500 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया था। संघम का मानना है कि व्यापारियों ने एक समूह (सिंडीकेट) बना दिया है और वे बहुत नीचे दाम पर किसानों से रूई खरीदने का प्रयास कर रहे हैं।