iGrain India - अहमदाबाद । देश के पश्चिमी भाग में अवस्थित सबसे प्रमुख रूई उत्पादक राज्य- गुजरात में चालू वर्ष के दौरान कपास का उत्पादन क्षेत्र 19 जून तक बढ़कर 6.90 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की इसी अवधि के क्षेत्रफल 5.89 लाख हेक्टेयर से करीब 18 प्रतिशत या एक लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
गुजरात में कपास का दस वर्षीय औसत बिजाई क्षेत्र 23.60 लाख हेक्टेयर आंका गया है। विश्लेषकों के मुताबिक रूई की कीमतों में होने वाली बढ़ोत्तरी के साथ-साथ राज्य में कपास का रकबा भी बढ़ता जा रहा है।
हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष कपास का भाव कमजोर है लेकिन फिर भी विगत वर्षों की तुलना में तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुकाबले काफी ऊंचा है। सरकार द्वारा हाल के वर्षों में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भी भारी बढ़ोत्तरी की गई है।
दूसरी ओर गुजरात में मूंगफली का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 3.66 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 19 जून तक 17 प्रतिशत या 62 हजार हेक्टेयर घटकर 3.04 लाख हेक्टेयर रह गया।
कृषक समुदाय का कहना है कि यद्यपि मूंगफली के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी इसकी बढ़ोत्तरी हुई है मगर किसानों का उत्साह एवं आकर्षण कपास की खेती के प्रति बढ़ता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 7 जून को केन्द्र सरकार ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की थी।
इसके तहत मध्यम रेशे वाली कपास का समर्थन मूल्य 6080 रुपए प्रति क्विंटल से 540 रुपए बढ़ाकर 6620 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशे वाली कपास का समर्थन मूल्य 6380 रुपए से बढ़ाकर 7020 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था।
इसी तरह मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 5860 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6377 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी शुरूआती रुझान प्राप्त हुआ है लेकिन आगामी समय में इसका बिजाई क्षेत्र और भी बेहतर होने की उम्मीद है जब अधिक से अधिक किसान इसकी खेती में सक्रियता एवं दिलचस्पी दिखाएंगे।
गुजरात के सौराष्ट्र संभाग में कपास और मूंगफली की खेती विशाल क्षेत्रफल में होती है। बिपरजॉय तूफान के साथ हुई भारी वर्षा से किसानों को कपास की बिजाई की रफ्तार बढ़ाने का अवसर मिल रहा है।